डेस्क रिपोर्ट। हमेशा अपने बयानों से सुर्खियों में रहने वाले आईएएस नियाज़ खान भी फ़िल्म द कश्मीर फाइल्स के विवाद में उलझ गए है, दरअसल आईएएस नियाज़ खान ने ट्वीट किया कि सोशल मीडिया पर कहा कि मुसलमान कीड़े नहीं, निर्माता उनके नरसंहार पर भी फिल्म बनाएं। नियाज खान ने ट्वीट किया है कि अलग-अलग मौकों पर मुसलमानों के नरसंहार को दिखाने के लिए एक किताब लिखने की सोच रहा था, ताकि कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्म कुछ निर्माता द्वारा बनाई जा सके। अल्पसंख्यकों के दर्द और पीड़ा को भारतीयों के सामने लाया जा सके। हत्या किसी मुसलमान, हिंदू या सिख की नहीं होती है, बल्कि इंसान की होती है। इसलिए ऐसी घटनाओं को हिंदू-मुस्लिम की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए, बल्कि इंसानियत दिखाना चाहिए। उन्होंने लिखा कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ ब्राह्मणों का दर्द दिखाती है। उन्हें पूरे सम्मान के साथ कश्मीर में सुरक्षित रहने की अनुमति दी जानी चाहिए। निर्माता को कई राज्यों में बड़ी संख्या में मुसलमानों की हत्याओं को दिखाने के लिए एक फिल्म बनानी चाहिए। मुसलमान कीड़े नहीं, बल्कि इंसान हैं और देश के नागरिक हैं।
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आईएएस नियाज खान ने यह भी कहा कि समाज का एक हिंसक तबका है, जिसने सच सुनने के लिए अपने कान बंद कर लिए हैं। तथाकथित पढ़े-लिखे लोग भी सच बोलने वाले को गाली देने के लिए गाली के स्तर की भाषा का इस्तेमाल करते हैं। खराब परवरिश और कट्टरपंथियों की कंपनी ने उनका दिमाग खा लिया है। गंदी भाषा का प्रयोग उनके दिमाग को दिखाता है।
https://twitter.com/saifasa/status/1504717590890876930
https://twitter.com/saifasa/status/1504999223527297025
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वही आईएएस के ट्वीट के बाद भोपाल की हुजूर विधानसभा के विधायक ने पलटवार करते हुए आईएएस नियाज़ खान के लिए बयान जारी किया है नियाज खान के ट्वीट पर बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने भी लिखा, वैसे तो देश में कही दंगे नहीं हो रहे, न हो पाएंगे, लेकिन पूर्व में हुए भिवंडी, भागलपुर, मुजफ्फरनगर, बंगाल, केरल में हिंदू-मुस्लिम दंगों में भी हिंदुओं की मौत का आंकड़ा मुस्लिमों की मौत से ज्यादा निकलेगा। एक बात और नियाज खान जी, मुस्लिमों के लिए कीड़ा-मकोड़े जैसे शब्दों का इस्तेमाल न करें, क्योंकि भारत में सच्चे देशभक्त एपीजे अब्दुल कलाम साहब, अशफाकुल्लाह खां, जैसे भी हुए हैं। रामेश्वर शर्मा ने ट्वीट में लिखा कि मैं मध्यप्रदेश सरकार से भी आग्रह करता हूं कि इनके कथन पर स्पष्टीकरण लिया जाए और पूछा जाे कि देश में ऐसा कौन सा प्रांत है जहां मुसलमानों को मारा जा रहा है।
जिसमें उन्होंने कहा कि रामेश्वर शर्मा बोले- मुस्लिमों के लिए ऐसे शब्द नहीं कहें। फिलहाल इस मामलें के बाद अब साफ समझा जा सकता है कि फिल्म को लेकर जारी बयानी संग्राम में अब राजनीतिक दलों के बाद आईएएस भी मैदान में कूद पढ़ें है।
भारतीय प्रशासनिक सेवा में रहते हुए सिर्फ़ एक वर्ग के प्रति आपकी चिंता व्यक्त करना कहीं न कहीं संघ लोक सेवा आयोग के आचरण नियमो के विपरीत है फिर भी आपको किसी वर्ग का रहनुमा बनने का शौक़ है तो #IAS की नौकरी छोड़ कर मैदान में आइए.
1/3— Rameshwar Sharma (मोदी का परिवार) (@rameshwar4111) March 19, 2022
चलिए 30 साल बाद ही सही पर आपने माना तो की कश्मीरी पंडितो-हिंदुओं के साथ अनन्य, अत्याचार, बर्बरता हुई ।
30 साल बाद आपने माना तो इस्लामिक कट्टरवाद, जिहाद के लिए कैसे हिंदुओं को मिट्टी में मिलाने की सोच का उदाहरण 19 जनवरी 1990 को पेश किया गया.
1/1 #TheKashmirFiles @saifasa— Rameshwar Sharma (मोदी का परिवार) (@rameshwar4111) March 19, 2022