भोपाल। भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और जमायत-ए-इस्लामी जैसी संस्थाओं के क्रियाकलापों में शासकीय कर्मचारियों के भाग लेने पर रोक लगा रखी है। कांग्रेस ने भी घोषणा पत्र के जरिए भारत सरकार के नियम को मप्र में पालन करने का वचन दिया था। जिसके तहत शासकीय कर्मचारियों के संघ के क्रियाकलापों पर रोक एवं शासकीय भवनों में संघ की शाखाओं पर रोक लगाई जाएगी। कांग्रेस के संघ को लेकर दिए गए वचन पर प्रदेश में बवाल मच रहा है। जबकि मप्र में 23 अगस्त 1966 से संघ एवं जमायत ए इस्लामी जैसी संस्थाओं पर पाबंदी थी, जिसमें से अगस्त 2006 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संघ से रोक हटाई, जबकि इससे पहले भाजपा की पटवा, जोशी, उमा एवं गौर की सरकारें भी नहीं, उन्होंने इस मुद्दे को छुआ तक नहीं।
दरअसल, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का मप्र में भाजपा की सरकार आने के बाद तेजी से विस्तार हुआ है। 2006 में सामान्य प्रशासन विभाग ने एक आदेश जारी कर कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकलापों में शासकीय कर्मचारियों के भाग लेने पर मप्र सिविल सेवा आचार नियम लागू नहीं होता है। पूर्व में जारी आदेश संघ पर लागू नहीं होते हैं। इस आदेश को जारी करने वाले सामान्य प्रशासन विभाग के तत्कालीन सचिव डीएस राय ने बताया कि विभाग की ओर से संघ से प्रतिबंध हटाने जैसी अनुशंसा नहीं की गई थी, तब मुख्यमंत्री की ओर से नोटशीट पर अलग से लिखा गया था।
चूंकि कांग्रेस ने भारत सरकार के नियम को लागू करने बात कही है तो भाजपा इसे चुनावी मुद्दा बनाने में लगी है। जबकि कांग्रेस की ओर से स्पष्ट किया जा चुका है कि संघ की शाखाओं को बंद करने जैसी कोई बात ही नहीं है।
कितने राज्यों में छूट है संघ के नेता नहीं बता पाए
देश में 19 राज्यों में भाजपा एवं समर्थन की सरकारें हैं। मप्र की तरह संघ के कार्यकलापों में शासकीय कर्मचारियों के भाग लेने पर छूट कितने राज्यों में है। इस संबंध में संघ के आधा दर्जन पदाधिकारियों में से कोई नहीं बता पाया।
सेवादल को मिलेगी छूट?
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की तरह पूर्व में सेवादल भी स्वतंत्र संस्था के रूप में काम करती थी, लेकिन सेवादल पर आज तक रोक लगी हुई है। कांग्रेस के हाथ में कमान आने के बाद सेवाद कमजोर होता गया और संघ मजबूत होता गया।