गीता पाठ का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड, अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव और गीता जयंती पर 7,000 से अधिक आचार्य कर रहे सस्वर पाठ

भगवान श्रीकृष्ण द्वारा 5 हजार वर्ष पहले कौरव-पांडवों के युद्ध के बीच अर्जुन को जो कर्म की शिक्षा दी उससे ही  सनातन के पवित्र धर्मग्रंथ "गीता" की रचना हुई।

Atul Saxena
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International Geeta Mahotsav: योगेश्वर, कर्मयोगी भगवान श्री कृष्ण का जीवन, उनकी लीलाएं, उनके आदर्श आज हजारों वर्ष बाद भी मनुष्य के लिए प्रेरणा का केंद्र है, युद्ध के मैदान में अर्जुन को कही गई बातें आज भी गीता के रूप में समाज को दिशा दिखा रही है, “गीता” की शिक्षा से प्रदेशवासियों के जीवन को आलोकित करने और सनातन संस्कृति से जोड़ने के लिए गीता जयंती और अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के अवसर पर भोपाल में बड़े स्तर पर गीता पाठ किया जा रहा है जिसमें गीता पाठ का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बन रहा है।

राजधानी भोपाल का लाल परेड मैदान अब तक ना जाने कितने राष्ट्रीय, अंतर राष्ट्रीय, सामाजिक और धार्मिक आयोजनों का साक्षी बना है लेकिन आज ये मैदान एक अनूठे आयोजन का साक्षी बन रहा है यहाँ गीता पाठ का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बन रहा है, 7000 से अधिक आचार्य गीता का सस्वर पाठ कर रहे हैं।

7000 आचार्य कर रहे तीसरे अध्याय “कर्म योग” का सस्वर पाठ 

संस्कृत भाषा के जानकार ये आचार्य गीता के तीसरे अध्याय “कर्म योग” का सस्वर पाठ कर विश्व रिकॉर्ड में दर्ज कराने की दावेदारी जता रहे हैं। ये आयोजन गीता जयंती के विशेष अवसर पर किया जा रहा है उल्लेखनीय है कि मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन गीता जयंती का पर्व मनाया जाता है।

कौरव-पांडवों के युद्ध के बीच अर्जुन को भगवान श्रीकृष्ण द्वारा जो कर्म की शिक्षा दी वहीं जन्मी “गीता”

भगवान श्रीकृष्ण द्वारा 5 हजार वर्ष पहले कौरव-पांडवों के युद्ध के बीच अर्जुन को जो कर्म की शिक्षा दी उससे ही  सनातन के पवित्र धर्मग्रंथ “गीता” की रचना हुई। पंचांग के अनुसार 11 दिसंबर को आज गीता जयंती है। इस तिथि पर मोक्षदा एकादशी व्रत भी किया जाता है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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