भोपाल/दिल्ली। मध्यप्रदेश में बिजली-पानी पर मचे घमासान के बीच बुधवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ तीन दिवसीय दौरे पर दिल्ली पहुंचे है। आज सुबह उन्होंने पीएम मोदी से मुलाकात कर कई मुद्दों पर चर्चा की। वही संभावना जताई जा रही है कि वे आज पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात कर सकते हैं और प्रदेश नेतृत्व को लेकर नई चर्चा कर सकते है। उम्मीद की जा रही है कि पार्टी नगरीय निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस संगठन में बड़ा फेरबदल कर सकती है। वही हार के कारणों पर भी मंथन हो सकता है। कमलनाथ राहुल गांधी से पहले पार्टी महासचिव वेणुगोपाल से चर्चा करेंगे। वे 7 जून को वापस भोपाल आएंगे।
दरअसल, लोकसभा प्रत्याशिय़ों, विधायकों और कार्यकर्ताओं से हार पर फीडबैक लेने के बाद सीएम कमलनाथ तीन दिवसीय दौरे पर दिल्ली पहुंचे है। माना जा रहा है कि वे राहुल गांधी से मुलाकात कर हार के कारणों पर मंथन कर सकते है। इस मुलाकात में सीएम मध्यप्रदेश के राजनीतिक हालातों पर चर्चा करेंगे। बताया जा रहा है कि कमलनाथ चुनावी हार को लेकर पूरी रिपोर्ट राहुल के सामने पेश करेंगे। प्रदेश में 29 में से एक सीट ही कांग्रेस को मिली है। राहुल ने मुख्यमंत्रियों के बेटों को चुनाव लड़ाने पर नाराजगी जताते हुए जो बयान दिया था, उसके मद्देनजर भी यह मुलाकात महत्वपूर्ण मानी जा रही है। कर्जमाफी सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा होगी। देशभर में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ की राहुल गांधी से यह पहली मुलाकात होगी। बैठक में आगे की रणनीति और हार के कारणों पर चर्चा हो सकती है।
फेरबदल और मंत्रिमंडल विस्तार पर हो सकती है चर्चा
कहा जा रहा है कि इस दौरान मप्र में कांग्रेस के नए प्रदेशाध्यक्ष सहित चुनाव परिणामों पर भी चर्चा हो सकती है। चुंकी 8 जून को कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक होना है। ऐसे में बैठक से पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ की यह मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है। इसके अलावा संभावना जताई जा रही है कि सीएम कमलनाथ दिल्ली दौरे के दौरान बसपा प्रमुख मायावती से भी चर्चा कर सकते हैं। इसके अलावा मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भी मंथन किया जा सकता है, क्योंकि पिछली बार वे राहुल से इस संबंध मे चर्चा नही कर पाए थे।
सियासी चुनौती ने रोके थे कदम
इससे पहले राहुल ने कमलनाथ से एमपी में रहकर कांग्रेस विधायकों को एकजुट रखने को कहा था, क्योंकि केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद उसने राज्य में सरकार को अपना बहुमत साबित करने के लिए कहा था क्योंकि बीजेपी का दावा था कि सरकार के पास बहुमत नहीं है। पार्टी को डर था कि भाजपा राज्य में सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर सकती है, लेकिन झाबुआ विधायक जीएस डामोर के इस्तीफे के बाद कांग्रेस ने राहत की सांस ली है। फिलहाल कांग्रेस विधानसभा में स्पष्ट बहुमत में है, उन्हें उपचुनाव तक अब बाहर से समर्थन लेने की जरुरत नही। इसी के चलते आगे की रणनीति के लिए कमलनाथ राहुल के पास पहुंचे है।