ये वादा निभाने में ‘नाकाम’ हुई कमलनाथ सरकार, 10 लाख कर्मचारियों में ‘टेंशन’

भोपाल। मध्य प्रदेश में सत्ता में 15 साल बाद वापसी करने के बाद कांग्रेस ने ज़ोर शोर से कामकाज करने का डांका पीटा था। पूर्व सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कमलनाथ सरकार ने कई ऐसे फार्मूले लागू करने के लिए कहा था जिससे प्रदेश के सरकारी महकमें में कसावट लाई जा सके। लेकिन यह वादे सिर्फ कोरेकागज़ ही साबित हुए हैं। कमलनाथ सरकार का एक साल पूरा होने को है लेकिन अभी तक कई घोषणाएं सरकार की पूरी नहीं हो सकी हैं। 

दरअसल, प्रदेश के सरकारी महकमें में कमलनाथ सरकार ने सत्ता में आने के बाद 20 50 का फार्मूला लागू करने के लिए कहा था। सरकार का वादा था कि सरकारी विभागों में कामकाज में तेज़ी लाने के लिए कर्मचारियों का रिकार्ड खंगाला जाएगा। जो सुस्त पाए जाएंगे उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी। लेकिन बीते 11 महीने में किसी को भी अनिवार्य सेवानिवृत्ति नहीं दी गई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने 20-50 के फार्मूले की कसौटी पर सभी ब्यूरोक्रेट्स को चुस्त, दक्ष और ईमानदार बता दिया है। अब प्रदेश के दस लाख कर्मचारी इस टेंशन में हैं कि कहीं 20-50 फार्मूले की गाज उन पर गिराकर कमलनाथ सरकार यह साबित करने में न जुट जाए कि, देखो हमने जो वचन दिया, सो किया और दूध के धूले साबित हो गए अफसरों के पापों की उन्हें भुगतनी पड़ जाए।


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