भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। भोपाल के रवींद्र भवन में कार्यक्रम में पहुंचे मुख्यमंत्री कमलनाथ ने हाल ही में लाउड्स्पीकर के गरमाए मुद्दे पर कहा कि लाउडस्पीकर एक निजी मामला है, इसको मुद्दा बनाना ठीक नहीं है। लाउडस्पीकर से लोगों की भावनाएं जुड़ी है, पर लाउडस्पीकर भड़काने वाला हो तो उस पर कार्रवाई ज़रूर होना चाहिए। लाउडस्पीकर का उपयोग कई जगह पर होता है, पर इसका दुरुपयोग ना हो, इससे मैं सहमत हूँ। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में लाउड्स्पीकर पर प्रतिबंध के बाद अब मध्यप्रदेश में भी लाउडस्पीकर के शोर पर सियासी दांवपेच जारी है मगर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही तरफ से लाउडस्पीकर के शोर के खिलाफ आवाज बुलंद है। हालांकि अभी इस पर रोक नहीं लगाई गई है लेकिन रोक लगाने का समर्थन प्रदेश भाजपा के कई दिग्गज कर चुके है।
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वही हाल ही में मध्यप्रदेश में डाक्टर गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने पर भाजपा के कमलनाथ विरोधी बयानों पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि भाजपा अपने संगठन की चिंता करे, कांग्रेस के संगठन की चिंता छोड़ दे। रही बात नेता प्रतिपक्ष पद छोड़ने की तो मैं खुद नेतृत्व से 2 माह पहले ही आग्रह कर चुका हूँ। मैंने खुद ही गोविंद सिंह जी के नाम का का प्रस्ताव रखा था। मेरे ऊपर दोहरी जिम्मेदारी थी, मुझे चुनावी तैयारी भी करना है, इसलिए मैं इस पद को छोड़ना चाहता था। मैं चाहता था कि जवाबदारी किसी और को मिले ताकि मैं अपना पूरा ध्यान चुनाव पर लगा सकूँ।
करीबन डेढ़ साल बाद मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी पर कमलनाथ ने कहा कि मिशन- 23 के लिए कांग्रेस पूरी तरह से तैयार है, हर नेता से कांग्रेस को मजबूती मिलती है। आज पूरा प्रदेश बिजली व कोयला संकट से परेशान चल रहा है। बिजली संकट से आज किसान परेशान है, व्यापारी परेशान है, छात्र परेशान हैं। यह सब पिछले दो वर्ष के भ्रष्टाचार का नतीजा है। आज शिवराज सरकार में कोई सौदा नहीं हो पा रहा, बगैर भ्रष्टाचार, बगैर कमीशन दिये, भाजपा सरकार बिजली संकट और कोयला संकट को मजाक में ले रही थी। यह स्थिति आज उत्पन्न नहीं हुई है। पिछले दो-तीन महीने से यह संकट दिख रहा था। यह कोई अचानक से बाढ़ या भूकंप नहीं आया है। भाजपा सरकार हमेशा से ही कोयले संकट, बिजली संकट से इंकार करती रही है। इस संकट से निपटने को लेकर भाजपा सरकार ने कोई प्लानिंग नहीं की। जिस प्रकार इन्होंने कोरोना से निपटने की कोई प्लानिंग नहीं की थी , ऐसे ही इन्होंने बिजली संकट-कोयला संकट से निपटने की कोई प्लानिंग नहीं की।