भोपाल।
सत्ता में आते ही कांग्रेस ने मध्यप्रदेश के सरकारी खजाने के खाली होने और फंड की कमी से जूझने की बात कही थी। इसी कारण कई योजनाएं और मुआवज़ा राशि भी प्रभावित हुई। निवेशकों को लुभाने और पूंजी निवेश के लिये भी कमलनाथ सरकार आए दिन अलग अलग विकल्पों पर विचार कर रही है। इसी सिलसिले में मिंटो हॉल में वित्तीय प्रबंधन से संबंधित कार्यशाला में कमलनाथ सरकार ने सरकारी खजाने को भरने के लिए अलग अलग एक्सपर्ट्स से सलाह ली। इस कार्यशाला में सीएम कमलनाथ के साथ योजना आयोग के पूर्व अध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया भी मौजूद थे। इस दौरान अलग अलग विभागों ने आमदनी को बढ़ाने के लिए अपनी अपनी राय सरकार के सामने रखी लोक निर्माण विभाग ने अपने रेस्ट हाउसों को निजी हाथों में देने का प्रस्ताव दिया। वही राजस्व विभाग ने नजूल की जमीन को व्यवसायिक इस्तेमाल में देने का प्रस्ताव दिया। पशुपालन विभाग ने युवाओं को गौशाला के लिए सरकारी जमीन देने का प्रस्ताव दिया। आंगनवाड़ी केंद्रों को सही करने के लिए प्राइवेट सेक्टर से मदद लेने की बात कही गई
बीजेपी की तीखी प्रतिक्रिया
कमलनाथ सरकार की इस कवायद पर बीजेपी का कहना है कि देश में जिस फार्मूले को सराहा जा रहा है, वही फार्मूला मध्य प्रदेश में अपनाया जा रहा है. जबकि मोंटेक सिंह अहलूवालिया ही देश में पीपीपी मॉडल लेकर आए थे. केंद्र की मोदी सरकार इसे लागू करती है तो कांग्रेस के सीनियर लीडर इसे प्राइवेटाइजेशन कहते हैं। बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय ने कहा कि अहलूवालिया और कमल नाथ को इस वर्कशॉप में राहुल गांधी को भी बैठाना चाहिए, ताकि उनमें भी इकोनॉमी की समझ विकसित हो सके।