भोपाल।शरद व्यास।
उपचुनाव (by election) के लिए कमलनाथ (kamalnath) सभी 24 विधानसभा सीट(vidhansabha seat) के लिए निजी एजेंसियों से सर्वे करा रहे है. इसमें स्थानीय स्तर के मुद्दे के साथ जातीय समीकरण और जिताऊ चेहरों की जानकारी जुटाई जाने की बात कही है, लेकिन कांग्रेस के नेताओ को कमलनाथ की इस बात से एतराज हो गया है जिससे कांग्रेस के सामने एक नई चुनोती आगई है।
मध्य प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव को लेकर कांग्रेस भले ही कमरा बंद बैठक कर रणनीति बनाने में जुटी हो, लेकिन अब पार्टी के सामने नई चुनौती खड़ी हो गई है। ज्ञात हो बीजेपी हो या कांग्रेस दोनो की दल आगामी उपचुनाव की बिसात बिछाने में लग गए है। बीजेपी के पास एक बड़ा कैडर है जो ज़मीन की हकीकत से वाकिफ़ है।वही कांग्रेस के पास दो रास्ते है पहला की वो स्थानीय नेताओं की सुने ओर उन मुद्दों को चुनावी बनाए या फिर सर्वे कराए, हालांकि सर्वे की बात कांग्रेस के नेताओ को नही भा रही है।
गौरतलब है कि 2018 के चुनाव से पहले भी कमलनाथ ने निजी एजेंसी से सर्वे कराया था और सर्वे के आधार पर कांग्रेस पार्टी की रणनीति तय कर सत्ता हासिल की थी।कमलनाथ को इस बार भी भरोसा है कि 2018 का फार्मूला 2020 के उपचुनाव में भी कारगर साबित होगा, लेकिन अब पार्टी के लिए उसका सर्वे मुसीबत बनता दिखाई दे रहा है, पार्टी के नेता खुलकर सर्वे के खिलाफ उठ खड़े हुए हैं,ऐसे में ग्वालियर चंबल इलाके की 16 सीटों पर कांग्रेस को उम्मीदवार तय करने में खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।बहरहाल यह देखना दिलचस्प होगा कि राजनीतिक मुद्दों से पहले अंदुरनी मुद्दोंपर कांग्रेस कैसे जीत दर्ज कर पाती है।