भोपाल| मध्य प्रदेश में 15 साल बाद सत्ता में आई कांग्रेस सरकार के लिए किसानों के बाद प्राथमिकता में युवा वर्ग है| सरकार अब युवाओं को साधने बड़ा दांव चलने जा रही है| युवओं को सरकार से सीधा जोड़ने की तैयारी की जा रही है| कमलनाथ सरकार आने वाले समय में ग्रामीण क्षेत्रों में युवा शक्ति संगठन के नाम से नेटवर्क खड़ा करेगी। हर पंचायत स्तर पर 10 से 15 युवाओं का संगठन होगा। इसमें 35 साल तक के युवाओं को रखा जाएगा। इसके लिए जल्द ही कैबिनेट में प्रस्ताव रखा जाएगा। इसी तरह सरकार कृषि विभाग के तहत हर दो पंचायतों में कृषक बंधु नियुक्त करने की भी तैयारी कर रही है|
दरअसल, सरकार को एक ऐसा नेटवर्क खड़ा करना है जो सरकार के कामकाज पर निगरानी रख सके और सीधे फीडबैक भी दे सके इससे लोगों के बीच सरकार की छवि पारदर्शी बनेगी और योजनाओं को ग्रामीणों तक पहुंचाने के साथ सरकार की अन्य योजनाओं के प्रचार-प्रसार में आसानी होगी| इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में युवा शक्ति संगठन के नाम से नेटवर्क खड़ा किया जाएगा| इन्हें योजनाओं की निगरानी के साथ सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं को नीचे तक पहुंचाने की जिम्मेदारी मिलेगी। संगठन के युवाओं को बैठकों में शामिल होने के लिए विशेष भत्ता दिया जाएगा। इस कार्यक्रम को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग चलाएगा, हर पंचायत स्तर पर 10 से 15 युवाओं का संगठन होगा। इसमें 35 साल तक के युवाओं को रखा जाएगा। इसका प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट में लाया जाएगा|
कांग्रेस कार्यकर्ताओं को किया जा सकता है एडजस्ट
युवा और किसानों को साधने के साथ ही सरकार अपने कामकाज और फैसलों के प्रचार प्रसार भी फोकस कर रही है| जिससे विपक्ष के सरकार के खिलाफ किये जा रहे प्रचार का असर कम हो| इसके चलते सरकार कृषक बंधु नियुक्त करने की तैयारी भी कर रही है| कृषि विभाग के तहत हर दो पंचायतों में कृषक बंधु नियुक्त करने का मसौदा लगभग तैयार कर लिया गया है। इसमें कृषक बंधुओं के माध्यम से कर्जमाफी से लेकर खेती से जुड़ी योजनाओं को गांव-गांव तक पहुंचने का काम होगा। इन्हें एक निश्चित मानदेय भी दिया जाएगा। कृषक बंधु हो या फिर युवा शक्ति संगठन, इनमें कांग्रेस समर्थकों को जगह देकर साधने की भी तैयारी है, क्यूंकि लम्बे समय से ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस का झंडा उठाने वाले कार्यकर्ताओं को भी पार्टी खुश करना चाहती है| ऐसे में संभावना है कि कांग्रेस से जुड़े लोगों को इसमें एडजस्ट किया जा सकता है| संगठन और जनप्रतिनिधियों से इसके लिए नाम भी मांगे जा सकते हैं।