भोपाल। विधायक हर सत्र में निधि बढ़ाने की मांग करते हैं। जिस पर मंथन चल रहा है। वित्त विभाग ने स्पीकर, डिप्टी स्पीकर, मंत्री और विधायकों के स्वेच्छानुदान मद को बढ़ाने के प्रस्ताव को सशर्त मंजूरी दे दी है। यदि निधि बढ़ती तो खर्च मनमर्जी से नहीं होगा। यानी खर्च के लिए क्राइटेरिया भी तय होगा। निधि के खर्च में बंदरवांट नहीं होगी।
सूत्रों का कहना है कि फिलहाल सरकार की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है। ऐसे में निधि बढ़ाने पर अभी तक सिर्फ चर्चा का दौर ही चलेगा। यदि निधि बढ़ाई जाती है तो यह भी तय होगा कि निधि में कितना पैसा लोगों को बीमारी या अन्य तरह की आर्थिक मदद के लिए बांटा जा सकेगा। कितनी राशि से निर्माण कार्य हो सकेंगे और कितनी राशि से खरीदी की जाएगी। अभी तक विधायक अपनी निधि को अपनी मर्जी से खर्च करते आए हैं। जिसमें लंबे समय से शिकायतें मिल रही है। हाल ही में पूर्व विधायक कालू सिंह ठाकुर निधि के दुरुपयोग के आरोपों का सामना कर रहे हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपनी निधि से स्टॉपेज बनवाए, जो एक ही स्कूल में बनवाए। जांच में यह आरोप सही साबित हुए। इसके अलावा विधायक निधि से कराए जाने वाले निर्माण कार्य भी घटिया होने की शिकायतें सरकार तक पहुंची है। यही वजह है कि निधि बढ़ाने का फैसला सशर्त होगा।
ऐसे शुरू हुई निधि बढ़ाने की प्रक्रिया
सामान्य प्रशासन, संसदीय कार्यमंत्री एवं सहकारिता मंत्री डॉ.गोविंद सिंह ने स्वेच्छानुदान बढ़ाने का मुद्दा उठाया था। कुछ अन्य मंत्रियों ने भी क्षेत्रीय जरूरतों का हवाला देते हुए स्वेच्छानुदान की राशि 50 लाख रुपए सालाना को बढ़ाने की मुख्यमंत्री कमलनाथ के सामने रखी थी। मुख्यमंत्री ने भी इस राशि को बढ़ाए जाने पर सहमति जताई थी। बताया जा रहा है कि मंत्रियों के साथ-साथ विधानसभा अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और उपाध्यक्ष का स्वेच्छानुदान भी बढ़ाया जाएगा। मध्यप्रदेश में सालाना एक करोड़ 85 लाख रुपए की विधायक निधि को बढ़ाने को लेकर विचार मंथन का दौर शुरू हो गया है, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष, मंत्री, नेता प्रतिपक्ष और उपाध्यक्ष का स्वेच्छानुदान जल्द बढ़ाया जाएगा। वित्त विभाग ने इस पर सहमति जता दी है। जल्द ही अंतिम निर्णय के लिए कैबिनेट में प्रस्ताव रखा जाएगा।
दोगुना हो सकता है स्पीकर का मद
राज्यमंत्रियों का स्वेच्छानुदान पैंतीस लाख से बढ़ाकर 50 लाख करने का प्रावधान किया जा रहा है। हालांकि प्रदेश में अभी सभी कैबिनेट मंत्री हैं। विधानसभा अध्यक्ष का स्वेच्छानुदान एक करोड़ रुपए से बढ़ाकर दो या फिर तीन करोड़ रुपए किया जा सकता है। नेता प्रतिपक्ष और उपाध्यक्ष का स्वेच्छानुदान भी 50 लाख रुपए से बढ़ाकर एक करोड़ रुपए किया जा सकता है।