भोपाल| मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमितों (Corona Positive) की संख्या चार हजार के पार हो चुकी है| वहीं मध्यप्रदेश वन विभाग (Madhya Pradesh Forest Department) द्वारा कोरोना को लेकर किये गये अध्ययन की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि वनों के आसपास के जिले कोरोना से तुलनात्मक रूप से कम प्रभावित हैं। कोरोना को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के प्रत्येक जिले में वनों का प्रतिशत तथा प्रति हजार उपलब्ध क्षेत्रफल का आकलन किया गया।
इस अध्ययन रिपोर्ट में पाया गया कि वनों के आसपास के जिले कोरोना से तुलनात्मक रूप से कम प्रभावित हैं। कोविड-19 के प्रसार के सापेक्ष प्रदेश के रेड, ग्रीन और ऑरेंज जोन घोषित किये जाने के संबंध में किये गये अध्ययन से उपरोक्त महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया है। मध्यप्रदेश में देश का सर्वाधिक वन क्षेत्र है।
उज्जैन, इंदौर, खरगोन, भोपाल, मुरैना जैसे जिले, जहाँ प्रति हजार व्यक्ति वन क्षेत्र उपलब्धता 100 हेक्टेयर से भी कम है, सभी रेड जोन में हैं। बैतूल और छिंदवाड़ा जिलों में वनों का घनत्व होने के साथ प्रति व्यक्ति वनों की उपलब्धता भी अधिक है। ये जिले कोविड से अत्यधिक प्रभावित महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के रेड जोन जिलों से लगे होने के बाद भी रेड जोन में न होते हुए ऑरेंज जोन में हैं।
महत्वपूर्ण बात है कि बालाघाट, शहडोल, पन्ना, अनूपपुर, उमरिया जैसे कई जिलों में भारी संख्या में प्रवासी मजदूर लौट कर आये हैं। इसके बावजूद भी वनों के अधिक घनत्व वाले ये जिले ग्रीन जोन में ही हैं। उपलब्ध आँकड़ों से प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि अधिक वनों की उपलब्धता वाले क्षेत्रों में नागरिकों की रोग प्रतिरोधक क्षमता अपेक्षाकृत बेहतर है।
प्रदेश में क्षेत्रफल की दृष्टि से 3 सर्वाधिक वन क्षेत्र वाले जिले बालाघाट-4932 वर्ग किलोमीटर, छिंदवाड़ा-4588 वर्ग किलोमीटर और बैतूल-3663 वर्ग किलोमीटर हैं। वन क्षेत्रों के प्रतिशत की दृष्टि से सर्वाधिक वन क्षेत्र वाले 3 जिले बालाघाट 53.44 प्रतिशत वर्ग कि.मी., श्योपुर 52.38 प्रतिशत और उमरिया 49.62 प्रतिशत हैं।
प्रदेश में प्रति एक हजार व्यक्ति वनों की उपलब्धता की दृष्टि से प्रथम स्थान पर श्योपुर, जहाँ प्रति एक हजार व्यक्ति पर 503 हेक्टेयर वन क्षेत्र, दूसरे स्थान पर डिण्डोरी प्रति एक हजार व्यक्ति पर 430 हेक्टेयर वन क्षेत्र और एक हजार व्यक्ति पर 314 हेक्टेयर वन क्षेत्र की उपलब्धता के साथ उमरिया जिला तीसरे स्थान पर है।