भोपाल, डेक्स रिपोर्ट। विधायक नारायण त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है, जिसमें उनहोना कहा है कि नगरीय निकाय चुनाव में राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी आदेश द्वारा आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों से मध्यप्रदेश शासन से ही जारी जाति प्रमाण पत्र की अनिवार्यता से आरक्षित जातियों व महिलाओं के हित प्रभावित हो रहे हैं। ऐसी महिला अभ्यर्थी जिनका जन्म मध्यप्रदेश के बाहर हुआ है और वे विवाहित होकर मध्यप्रदेश में बस गई हैं किंतु जिनके जन्म प्रमाण पत्र मध्यप्रदेश के बाहर के राज्यों से जारी हुए हैं वे सब चुनाव लड़ने से वंचित हो गई हैं।
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यह है पत्र
उपरोक्त विषय में सादर अवगत कराना चाहता हूॅं कि नगरीय निकाय चुनाव में राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी आदेश क्रमांक एफ-70 एनएन-23 /2022/पांच/534 दिनांक 06.06.2022 द्वारा आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों से मध्यप्रदेश शासन से ही जारी जाति प्रमाण पत्र की अनिवार्यता से आरक्षित जातियों व महिलाओं के हित प्रभावित हो रहे हैं। ऐसी महिला अभ्यर्थी जिनका जन्म मध्यप्रदेश के बाहर हुआ है और वे विवाहित होकर मध्यप्रदेश में बस गई हैं किंतु जिनके जन्म प्रमाण पत्र मध्यप्रदेश के बाहर के राज्यों से जारी हुए हैं वे सब चुनाव लड़ने से वंचित हो गई हैं। आयोग के उक्त निर्देश से पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग की महिला अभ्यर्थियों के हित प्रभावित हो रहे हैं, पात्रता के बाबजूद भी चुनाव न लड़ पाने से इस वंचित वर्ग के लोगों में गहरा आक्रोश पनप रहा है।
सामान्य तौर पर जाति प्रमाणपत्र व्यक्ति के जन्म के स्थान के अनुविभागीय दण्डाधिकारी द्वारा ही जारी किया जाता है, किसी भी राज्य शासन द्वारा डिजिटल रूप से जारी जातिप्रमाण पत्र संपूर्ण देश में मान्य किया जाता है, किन्तु आयोग के उल्लेखित आदेश के अनुसार उपर्युक्त परिस्थितियों में मध्यप्रदेश शासन द्वारा जारी जाति प्रमाणपत्र मॉंगे जाने से असहज स्थितियॉं निर्मित हो रही है व आरक्षित वर्ग के पात्र अभ्यर्थी भी चुनाव लड़ने से वंचित हो रहे हैं। आयोग द्वारा जारी उक्त आदेश से पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के पात्र अभ्यर्थियों के साथ छल व अन्याय हो रहा है। इस मामले का विधिक समाधान अतिशीघ्र जरूरी है।
उदाहरण के तौर पर नगर पालिका परिषद मैहर जिला सतना के वार्ड क्र. 12 में श्रीमती रश्मि चौरसिया द्वारा पार्षद पद हेतु नामांकन किया है, चौरसिया (बरई) जाति मध्यप्रदेष व उत्तरप्रदेष में पिछड़ा वर्ग में आती है, इनके पास उत्तरप्रदेश शासन द्वारा जारी वैध डिजिटल प्रमाणपत्र है, किन्तु आयोग के उक्त निर्देषानुसार इन्हें मध्यप्रदेश शासन द्वारा जारी जाति प्रमाणपत्र ही प्रस्तुत करना होगा अन्यथा की स्थिति में इनका नामांकन निरस्त कर दिया जायेगा जो कि पिछड़ावर्ग की इस महिला अभ्यर्थी के साथ अन्याय होगा।
अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि आरक्षित वर्ग विशेषकर पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति व जनजाति की महिलाओं के हित की रक्षा व उन्हें अन्याय से बचाने हेतु कारगर विधिक कार्यवाही कराने की कृपा करें।
धन्यवाद सहित,
भवदीय
( नारायण त्रिपाठी )