Shaskiya Shikshak Sangthan Madhy Pradesh : शासकीय शिक्षक संगठन मध्य प्रदेश ने स्कूली शिक्षा मंत्री को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि फरवरी माह प्रारंभ हो चुका है और वार्षिक परीक्षाओं के लिए चंद ही दिन शेष हैं। ऐसे में शिक्षकों को केवल बच्चों को पढ़ाने का कार्य करना चाहिए लेकिन आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल द्वारा अचानक अतिशेष की कार्यवाही प्रारंभ हो जाने से मध्यप्रदेश के सभी शिक्षकों में अफरा-तफरी का माहौल बन गया है।
शासकीय शिक्षक संगठन द्वारा लिखा गया पत्र
इस पत्र में कहा गया है कि ‘अभी तक शिक्षा विभाग की स्थापना का फार्मेट शत-प्रतिशत अपडेट नहीं हुआ है, शिक्षकों की सेवा-पुस्तिकाएं अपडेट नहीं हैं, पूरे प्रदेश में विषय सुधार के लिए शिक्षक जिला से लेकर संभागीय कार्यालयों में भटक रहा है, परन्तु उनमें भी शत-प्रतिशत सुधार नहीं हो पाया है। एजुकेशन पोर्टल की स्थिति यह है कि ऐसे विद्यालय जहां पर एक भी शिक्षक नहीं है, वहां एक भी पद रिक्त नहीं दिखा रहा है और जहां पर पर्याप्त शिक्षक हैं, वहां अभी भी रिक्त पद दिख रहे हैं।’
शासकीय शिक्षक संगठन के प्रांताध्यक्ष राकेश दुबे ने कहा है कि ‘उन्होंने पहले भी अपने पत्र क्रमांक 1020 दिनांक 22/12/2022 में विभाग से अनुरोध किया था, कि अतिशेष शिक्षकों की गणना करते समय संस्था में वरिष्ठ के स्थान पर कनिष्ठ को अतिशेष माना जाए, क्योंकि किसी विद्यालय में यदि छात्र संख्या के मान से पूर्व से शिक्षक पदस्थ है, तो पोर्टल अपडेट न होने के कारण अथवा किसी राजनैतिक/अन्य दबाववश यदि किसी शिक्षक को संस्था में कार्यभार ग्रहण कराया जाता है तो अतिशेष बाद में आने वाले शिक्षक को होना चाहिए न कि पूर्व से नियमानुसार पदस्थ शिक्षक को। परन्तु विभाग द्वारा इसपर संज्ञान नहीं लिया गया। अब यह सब शिक्षकों को आक्रोशित करने वाला एवं बेवजह विभाग में न्यायालयीन प्रकरण तैयार करने वाली सिद्ध होगा।’
शासकीय शिक्षक संगठन के प्रांताध्यक्ष राकेश दुबे ने शिक्षा मंत्री, प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा एवं आयुक्त लोकशिक्षण को पत्र लिखकर मांग की है कि परीक्षाओं के समय एवं पोर्टल अपडेट न होना को ध्यान में रखते हुए अतिशेष की कार्यवाही को परीक्षाओं के बाद तक के लिए तत्काल स्थगित किया जाए और जब भी ये कार्यवाही हो तब विभाग यह सुनिश्चित कर ले कि स्थापना के मामले में पोर्टल अपडेट हो चुका है तथा अतिशेष की गणना करते समय पूर्व से संस्था में पदस्थ शिक्षक को अतिशेष न मानते हुए बेवजह बाद में संस्था में आए शिक्षक की गणना अतिशेष के रूप में की जाए।