Madhya Pradesh High Court News : मंत्री कुंवर विजय शाह मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने दर्ज FIR पर सवाल उठाते हुए पुलिस को इसे रिप्रोड्यूस करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने FIR के पैराग्राफ 12 को लेकर सवाल खड़े किए हैं। हाई कोर्ट ने यहां तक कहा है कि यदि इस एफआईआर को चुनौती दी जाए तो यह आसानी से रद्द हो सकती है।
क्या कहा हाई कोर्ट ने
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में मंत्री विजय शाह के मामले में सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि अदालत के आदेश के अनुसार एफआईआर दर्ज कर ली गई है। यह अदालत BNS की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की गई है। एफआईआर को देखने के बाद मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने इसकी ड्राफ्टिंग पर ऐतराज जताया। न्यायाधीश ने कहा कि जिस तरीके से यह प्राथमिकी ड्राफ्ट कर दर्ज की गई है यदि इसे चुनौती दी जाए तो आसानी से रद्द किया जा सकता है।

पैराग्राफ 12 पर जताया ख़ासकर ऐतराज
FIR के पैराग्राफ 12 का जिक्र करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि इसमें जिन धाराओं की बात कोर्ट द्वारा की गई है उनके अनुसार एक्शन ऑफ सस्पेक्ट की क्लिएरिटी बिल्कुल भी नहीं है। इसमें सस्पेक्ट द्वारा जो भी कृत्य किया गया इसका जिक्र भी नहीं है। यह प्राथमिक अदालत के विश्वास पर खरी नहीं उतरती है और इसीलिए इसमें सुधार किया जाए।
कोर्ट के आदेश को पैराग्राफ 12 के तौर पर पढ़ा जाए
मामले की सुनवाई में उच्च न्यायालय ने एफआईआर के पैराग्राफ 12 को आने वाले सभी जुडिशियल और इन्वेस्टिगेटिव मामलों में कोर्ट के 14 मई 2025 के ऑर्डर के अनुसार देखने और इस्तेमाल करने की बात कही है
हाई कोर्ट खुद करेगा मामले की मॉनिटरिंग
एफआईआर की ड्राफ्टिंग को देखते हुए उच्च न्यायालय ने अब इस मामले के इन्वेस्टिगेशन में खुद की मॉनिटरिंग की बात भी कही है। हाई कोर्ट का कहना है कि वह ना ही इन्वेस्टिगेशन में और ना ही इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी के कार्य में हस्तक्षेप करेंगे लेकिन अब मामले पर निगरानी रखेंगे। आपको बता दें वेकेशन के बाद टॉप ऑफ़ द लिस्ट होगी इस मामले की।
क्या है मंत्री विजय शाह का मामला
दरअसल एक आम सभा के दौरान मंत्री विजय शाह ने भारत द्वारा पहलगाम हमले का बदला लेने के लिए चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकियों की बहन बताया था, इतना ही नहीं इस दौरान उनके द्वारा पीएम मोदी को लेकर भी अपशब्द कहे गए थे। वीडियो वायरल होने के बाद मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेते हुए मंत्री विजय शाह की स्पीच को भारत की संप्रभुता, अखंडता और एकता के लिए खतरा बताया था, और मध्य प्रदेश के डीजीपी को उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे।