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Mon, Dec 22, 2025

मध्यप्रदेश : कमलनाथ विजनरी नही, विनाशकारी नेता है : डॉ. केसवानी

Written by:Harpreet Kaur
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मध्यप्रदेश : कमलनाथ विजनरी नही, विनाशकारी नेता है : डॉ. केसवानी

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मप्र के पूर्व सीएम और मप्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के बयान पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश केसवानी ने जोरदार कटाक्ष किया है। डॉ. केसवानी ने नाथ को विजन के बजाय विनाश करने वाला नेता बताया है। डॉ. केसवानी ने कहा है कि आपके कार्यकाल में प्रदेश की और आम लोगों की उपेक्षा के कारण मप्र विनाश की ओर जा रहा था। युवा बर्बाद हाे रहे थे। नशे का कारोबार चरम पर था और और सरकार के नुमाइंदे पैसे कमाने में व्यस्त थे। वहीं भाजपा प्रवक्ता ने कहा है कि इसके विपरीत सीएम शिवराज सिंह चौहान प्रदेश वासी के हर सुख दुख में सदैव उनके साथ खड़े रहते हैं।

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गांजे की खेती आईफा अवार्ड में व्यस्त थी आपकी सरकार :
डॉ. केसवानी ने कहा कि नाथ सरकार युवाओं को 4 हजार बेरोजगारी भत्ता देने का वादा कर मुकर गई। इस दौरान सरकार का ध्यान नशे के काराेबार को बढ़ाने पर रहा। गांजे की खेती को मुख्य कारोबार बनाने पर सरकार का ध्यान था। कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे जीतू पटवारी खुलेआम कहते थे कि सरकार ने आपके लिए देसी और विदेशी का इंतजाम किया है। आपकी सरकार ने जनकल्याणकारी योजनाओं पर प्रतिबंध लगाकर आईफा अवार्ड पर ध्यान लगाया और अधिकारियों के तबादलों को एक उद्योग का रूप दे दिया गया। सरकार के नुमाइंदे हमेशा इसी काम में व्यस्त रहते थे।

बंद कर दी गईं कल्याणकारी योजनाएं :
केसवानी ने इस दौरान आरोप लगाया कि एक ओर कांग्रेस सरकार के समय जनता के पैसे का दुरुपयोग किया गया। वहीं दूसरी ओर शिवराज सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को एक एक कर बंद कर दिया गया, जिससे कहीं न कहीं मप्र के आम लाेगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। 75 प्रतिशत से ज्यादा अंक लाने वाले छात्रों को मिलने वाले लैपटॉप, स्मार्टफोन और साइकिल पर कमलनाथ सरकार ने रोक लगा दी। इसके अलावा 60 फीसदी से ज्यादा अंक लाने वाली छात्राओं को सालाना मिलने वाले 5000 की छात्रवृत्ति को भी रोक दिया गया था। इसके अलावा मीसाबंदी पेंशन योजना, संबल योजना, दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना और तीर्थ दर्शन जैसी कई योजनाएं शामिल हैं। नाथ हमेशा ही पैसे का रोना रोते रहे, जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विकास की राह में कभी भी पैसे की कमी की कोई बात नहीं कही।