मध्य प्रदेश में पीएचई विभाग के अधिकारी इन दिनों मनमानी पर उतर आए हैं। भ्रष्टाचार के अनेक मामले सामने आने के बाद भी प्रभावी कार्रवाई नहीं होने से उनके हौसले बुलंद हो रहे हैं। हालात इतने खराब हैं कि विभागीय मंत्री के ऊपर 1000 करोड़ रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में ईएनसी ने जांच तक बैठा दी थी जिसके चलते पूरे देश में मध्य प्रदेश के इस विभाग की किरकिरी हो चुकी है। ताजा मामला मुरैना से सामने आया है।
ग्वालियर चंबल परिक्षेत्र के चीफ इंजीनियर आर एल एस मौर्य ने भोपाल मुख्यालय को एक पत्र लिखकर भ्रष्टाचार के एक बड़े मामले का पर्दाफाश किया है। उन्होंने मुरैना के प्रभारी कार्यपालन यंत्री एस एल बाथम पर आरोप लगाया है कि उन्होंने ई टेंडर में प्राप्त हुई निविदा की दरों में हेरा फेरी करके ठेकेदार को लाभ पहुंचाया है।

ये है पूरा मामला
मौर्य ने अपने पत्र में बताया है कि किस तरह से 2022 में मुरैना के पहाड़गढ़ में टिक टोली टूमदार में रेट्रोफिटिंग परियोजना के तहत जल जीवन मिशन में 386 लाख रुपए की निविदा आमंत्रित की गई थी। निविदा खुलने पर दंडोतिया कंस्ट्रक्शन कंपनी सबसे ज्यादा, मंगलदास बोर वेल उससे कम और दीनदयाल तिवारी ने सबसे कम रेट डाले। जांच में पाया गया कि कार्यपालन यंत्री बाथम के द्वारा दीनदयाल तिवारी की रेट सबसे कम कर उन्हें काम दे दिया गया और इस तरह आर्थिक हानि राज्य शासन को पहुंचाई गई।
FIR की भी मांग की गई लेकिन विभाग चुप
इस मामले के बारे में मौर्य ने राज्य शासन को मई 2025 में पत्र लिखकर बाथम के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी जिस पर संज्ञान लेते हुए विभाग ने बाथम को 4 जुलाई को निलंबित कर दिया। हालांकि अपने पत्र में मौर्य ने बाथम के खिलाफ पुलिस केस रजिस्टर्ड करने की भी मांग की थी लेकिन अभी तक उसे पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि जब मामला 2022 का है तो 3 साल तक विभाग क्यों सोया रहा।
PHE मंत्री पर लग चुका है 1000 करोड़ रुपए की रिश्वत लेने का आरोप
अभी कुछ दिन पहले ही विभागीय मंत्री संपतिया उईके के ऊपर खुद भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे ईएनसी संजय कुमार अंधवान के द्वारा एक तथ्यहीन पत्र के आधार पर जांच बिठाने से पूरे देश में पीएचई विभाग की किरकिरी हो चुकी है। इस पत्र में मंत्री संपतिया उईके के ऊपर 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा की रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था।
अफसर लगा रहे PM Modi की योजना को पलीता
हालांकि हड़कंप मचने के बाद खुद ईएनसी ने यह स्पष्ट किया कि जांच में यह सब शिकायतें निराधार पाई गई। लेकिन इन सब मामलों से यह साफ होता है कि किस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन परियोजना के प्रति मध्य प्रदेश के अधिकारी लापरवाह है और जमकर योजना को पलीता लगा रहे हैं।