भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। प्रदेश में अब आजीवन कारावास काट रहे आतंकवादियों, बलात्कारियों, ड्रग्स का व्यापार करने वालों, ज़हरीली शराब के निर्माता, व्यापार करने वालों को अंतिम साँस तक जेल में बंद रहना होगा, अब ऐसे कैदी छुट्टी (परिहार) पर भी बाहर नहीं आ सकेंगे। जेल विभाग द्वारा इस संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश जारी कर दिए है। वही वर्ष 2012 में जारी दिशानिर्देश को निरस्त करते हुए नये नियम को लागू कर दिया गया है। गौरतलब है कि हाल ही में मंत्रालय में हुई अहम बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐसे कैदियों की रिहाई की प्रस्तावित नीति 2022 में नियम को कड़े करने के निर्देश दिए थे, बैठक में तय हुआ कि रेप के आरोपियों के साथ कोई रियायत नहीं बरती जाएगी, सीएम शिवराज की अध्यक्षता में हुई बैठक में प्रस्तावित नीति -2022 पर चर्चा हुई, प्रदेश में अभी 2012 की नीति लागू है। लेकिन अब इसमें बदलाव कर दिया गया है।
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वर्तमान में प्रदेश की 131 जेलों में 12 हजार से अधिक बंदी आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं, ऐसे बंदियों के संबंध में जो नई नीति तैयार की गई है उसमें जघन्य अपराधियों को कोई राहत नहीं मिलेगी, आतंकी गतिविधियों और नाबालिगों से बलात्कार के अपराधियों का कारावास 14 वर्ष में समाप्त नहीं होगा, मध्यप्रदेश में ऐसे अपराधियों को अंतिम सांस तक कारावास में ही रहने की नीति बनाई गई है। जेल विभाग के नये आदेश के अनुसार आजीवन कारावास काट रहे बंदियों को साल में 4 बार (15 अगस्त, 26 जनवरी, 14 अप्रेल और 2 अक्टूबर ) पात्रताअनुसार समय पूर्व रिहाई और परिहार सम्बन्धी पात्रताओं/अपात्रताओँ एवं इस बाबत प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। आदेश की कंडिका (२) में उल्लेखित अधिनियमों एवं धाराओं में आजीवन कारावास से दंडित बंदियों को समय पूर्व रिहाई के लिए और जघन्य अपराधों में दंडित बंदियों को छुट्टी (परिहार) के लिए अपात्र घोषित किया गया है। ऐसे बंदियों को अंतिम साँस तक जेल में ही रहना होगा और ऐसे बंदियों की छुट्टी (परिहार) की भी पात्रता नहीं होगी। आजीवन कारावास काट रहे ( अपात्र श्रेणी के अपराधों के अलावा अन्य अपराधों में दंडित ) 70 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुष बंदियों को 12 साल की सजा काट लेने पर और 60 वर्ष से अधिक उम्र की महिला बंदियों को 10 साल की सजा काट लेने पर समय पूर्व छोड़ा जा सकेगा।
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उक्त दिशानिर्देशों में ज़िला स्तरीय समिति(कलेक्टर, SP, ज़िला अभियोजन अधिकारी) द्वारा केवल पात्र श्रेणी के बंदियों के नामों पर विचार कर अनुशंसा जेल मुख्यालय को भेजनी होगी और जेल मुख्यालय की अनुशंसा पर राज्य सरकार की अनुमति प्राप्त होने पर ही समय पूर्व रिहाई हो सकेगी। अपात्र श्रेणी (कंडिका २) के समस्त बंदियों को अंतिम साँस तक जेल में ही रहना होगा। यह दिशानिर्देश जारी करने से पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह विभाग की अध्यक्षता में गठित 4 सदस्यीय समिति ने 10 राज्यों यथा उड़ीसा, तेलंगाना, कर्नाटक, उतरप्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली की इस बाबत जारी नीतियों/दिशानिर्देशों का विस्तृत अध्ययन कर राज्य सरकार को अनुशंसाएँ सौंपी थी। उक्त अनुशंसाओं के आधार पर मुख्यमंत्री का अनुमोदन प्राप्त कर 22 सितंबर गुरुवार को नवीन दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। विदित हो कि वर्तमान में प्रदेश की जेलों में 48,679 क़ैदी हैं जिनके से 15 हज़ार से ज्यादा क़ैदी आजीवन कारावास काट रहे हैं।