भोपाल।
कांग्रेस के सत्ता में आते ही सबसे बड़ी चुनौती मध्यप्रदेश का कर्जा है। लगातार कर्ज लेने के कारण प्रदेश की वित्तिय स्थिति ठीक नही है।वर्तमान में प्रदेश पर पौने दो लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है।ये कर्ज शिवराज सरकार योजनाओं और घोषणाओ को पूरा करने के लिए लिया गया था, जिसका सीधा भार अब नई सरकार यानि कांग्रेस पर पड़ने वाला है।खबर है कि इसकी जानकारी जनता को देने के लिए कांग्रेस कामकाज संभालते ही श्वेतपत्र लाएगी। नए मुख्यमंत्री के सामने वित्तीय स्थिति को लेकर प्रेजेंटेशन होगा। इसके लिए सभी विभागों को अपनी-अपनी स्थिति को लेकर रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।
दरअसल, बीते पंद्रह सालों में शिवराज सरकार द्वारा कई विदेशी कंपनियों से एक के बाद एक कर्ज लिया गया।बताया जा रहा है कर्मचारियों को सातवां वेतनमान और एरियर , अध्यापकों के संविलियन, भावांतर भुगतान, किसानों को प्रोत्साहन राशि देने और संबल योजना सहित अन्य योजनाओं के लागू करने के चलते सरकार का खर्च बढ़ता चला गया और सरकार कर्ज लेती चली गई। वही नतीजों से पहले ही 800 करोड़ के कर्ज लेने की कवायद तेज थी। ऐसे में नई सरकार के सामने बहुत बड़ी चुनौती है। चुंकी चुनाव से पहले कांग्रेस द्वारा कई घोषणाएं की गई है, जिनमें कर्ज माफी सबसे बडी घोषणा है। कांग्रेस को कामकाज संभालते ही दस दिन में किसानों का कर्जा माफ करना है। हालांकि इसके लिए
मंत्रालय में कांग्रेस द्वारा तैयार किए गए ब्लूप्रिंट पर होमवर्क शुरू कर दिया गया है। इसको लेकर मंत्रालय में बैंकर्स और वरिष्ठ अधिकारियों की बुधवार को बैठक भी की गई।वही इस संबंध में मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ से मुलाकात की। नई सरकार जनता के सामने भी प्रदेश की माली हालत को श्वेतपत्र के जरिए रखेगी। वित्त विभाग ने भी इसकी तैयारी शुरू कर दी है। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री के सामने वित्तीय स्थिति का प्रेजेंटेशन होगा। इसके बाद श्वेतपत्र के स्वरूप पर फैसला होगा।
2 लाख तक का कर्जा होगा माफ
कर्जमाफी के ब्लूप्रिंट में 2 लाख तक का कर्जा माफ करने की योजना है। कर्जमाफी के दायरे में सहकारी और राष्ट्रीयकृत बैंक दोनों आएंगे। कर्जमाफी का फायदा ओवरड्यू और समय पर लेनदेन करने वाले किसानों को कर्ज खाते में वर्तमान कर्जराशि के आधार पर माफी मिलेगी। कर्जमाफी से राज्य पर करीब 60 हजार करोड़ रुपए का वित्तीय भर आएगा। कर्जमाफी के ब्लूप्रिंट में माफी के लिए राशि जुटाने का जरिया भी शामिल है। इसके अनुसार करीब 33 लाख किसान कर्जमाफी के दायरे में आएंगे।इनमें 16 लाख नियमित और 17 लाख डिफॉल्टर किसान हैं। इनके ऊपर लगभग 17 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। डिफॉल्टर किसानों के कर्ज पर ब्याज लग रहा है, जबकि नियमित किसान को जून 2019 में कर्ज की अदायगी करनी है। 2008 में यूपीए सरकार की कर्जमाफी और राहत योजना के बारे में भी बैंकों से राय ली गई। उधर, अधिकारियों ने कांग्रेस के किसानों की कर्जमाफी के वचन को जमीन पर उतारने की तैयारी शुरू कर दी है।