भोपाल, डेस्क रिपोर्ट
प्रदेश सरकार ने नगरीय निकाय (Urban bodies) और पंचायतों के चुनाव (Panchayat Election) की तैयारी शुरू कर दी है। जिलों में वार्ड आरक्षण का काम तेजी से चल रहा है। विधानसभा का मानसून सत्र (Monsoon Session) स्थगित होने के चलते नगर पालिका विधि अधिनियम विधेयक विधानसभा में पारित नहीं हो पाया। अब अध्यादेश के जरिए महापौर और अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली द्वारा कराए जाने का संशोधित प्रावधान किया जाएगा। बताया जा रहा है कि दिसंबर या जनवरी में या चुनाव करवाए जा सकते हैं।
अपने पिछले कार्यकाल में शिवराज सरकार (Shivraj Government) ने के पंचायतों को मिलाकर 22 नगरी परिषद बनाई थी। प्रदेश में कांग्रेस सरकार आते ही शिवराज सरकार का फैसला पलट कर कांग्रेस ने राजनीतिक दृष्टिकोण से इस फैसले को निरस्त कर दिया था। जिसके बाद अब वापस शिवराज सरकार ने वापस से 22 ग्राम पंचायतों को नगर परिषद बना दिया है। कांग्रेस ने नगरी निकाय चुनाव प्रणाली में भी बदलाव करके महापौर और नगर पालिका व नगर परिषद के अध्यक्ष का चुनाव परिषद के माध्यम से करने के लिए अधिनियम में संशोधन किया था। भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए इसका विरोध किया था। पुनः सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस अधिनियम में फिर से संशोधन करके पुरानी व्यवस्था बहाल करने के निर्देश दिए हैं।
वार्ड आरक्षण की प्रक्रिया अंतिम दौर में चल रही है। वहीं भोपाल नगर निगम के दो हिस्से करने सहित अन्य निकायों के परिसीमन के प्रस्ताव जो राजभवन भेजे गए थे उन्हें वापस बुलाया जा चुका हैं। अधिकारियों का कहना है कि निकाय की आरक्षण प्रक्रिया पूरी करके राज्य निर्वाचन आयोग को सूचना भेज दी जाएगी। इसके बाद आयोग तय करेगा कि उसे कब चुनाव कराने हैं।
सूत्रों का कहना है कि सितंबर के बाद कभी भी विधानसभा की 27 सीटों के उपचुनाव कराए जा सकते हैं। इस चुनावों के बाद पहले नगरीय निकाय और फिर त्रिस्तरीय पंचायत राज (जिला, जनपद और ग्राम पंचायत) संस्थानों के चुनाव कराए जाएंगे इसके परिसीमन की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है।