Maharana Pratap Jayanti : आज पूरे देश में मेवाड़ के महान वीर योद्धा महाराणा प्रताप की जयंती मनाई जा रही है। भोपाल में भी इस अवसर पर लोहार समाज और सकल हिंदू समाज ने मिलकर शस्त्र पूजन किया। संस्कृति बचाओ मंच के अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी ने इस अवसर पर कहा कि ये हमारी परंपरा का हिस्सा है और हर साल शस्त्र पूजन का आयोजन किया जाता है। इसी के साथ उन्होंने वर्तमान हालात पर कहा कि अगर ज़रूरत पड़ी तो हम सब मिलकर बॉर्डर पर जाकर सेना का साथ देने के लिए तैयार हैं।
9 मई 1540 को कुम्भलगढ़ में जन्मे महाराणा प्रताप न सिर्फ राजपूत इतिहास के गौरवशाली प्रतीक हैं, बल्कि भारतीय स्वाभिमान, स्वतंत्रता और आत्मबल के अमिट प्रतीक भी हैं। उनकी जयंती पर राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश सहित देश के अलग अलग हिस्सों में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।

महाराणा प्रताप जयंती
महाराणा प्रताप भारतीय इतिहास के महानतम वीरों में गिने जाते हैं। उनकी असाधारण बहादुरी, स्वाभिमान, देशभक्ति और स्वतंत्रता के प्रति दृढ़ संकल्प ने उन्हें अमर बना दिया। उन्होंने मुगल सम्राट अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और सीमित संसाधनों के बावजूद अपने राज्य मेवाड़ की स्वतंत्रता के लिए जीवनभर संघर्ष किया। हल्दीघाटी के युद्ध में उनकी वीरता और उनके घोड़े चेतक की वफादारी आज भी भारतीय जनमानस के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
भोपाल में हुआ शस्त्रपूजन
आज महाराणा प्रताप की जयंती पर भोपाल में लोहार समाज और सकल हिंदू समाज ने मिलकर शस्त्रपूजन किया। इस अवसर पर संस्कृति बचाओ मंच के अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी कहा कि हर बार ये आयोजन चित्तौड़गढ़ में ये आयोजन होता था। लेकिन इस बार भोपाल में ये कार्यक्रम हुआ है। उन्होंने का कि ‘सकल हिंदू समाज को शस्त्र और शास्त्र दोनों की आवश्यकता है। हमारे तैंतीस करोड़ देवी देवताओं के हाथों मे शस्त्र है। भगवान शिव के हाथ में त्रिशूल है, मां भगवती के हाथ में तलवार है, विष्णु जी के हाथ में सुदर्शन चक्र है, परशुराम जी के हाथ में फरसा है। सभी देवताओं ने कहा है कि शास्त्र के साथ में शस्त्र की भी आवश्यकता है आत्मरक्षा के लिए। हम महाराणा प्रताप के वंशजों के साथ शस्त्र पूजन कर रहे हैं। आज जब भारत-पाक के बीच युद्ध की स्थिति में हम संदेश देना चाहते हैं कि अगर आवश्यकता पड़ी तो हम बॉर्डर पर जाकर देश की सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर पाकिस्तान को परास्त करने के लिए खड़े रहेंगे।’