Marxist Communist Party accused the government : ‘अभी विधानसभा चुनावों के बाद सरकार का गठन भी नहीं हुआ है कि प्रदेश के युवाओं के भविष्य के साथ फिर से मजाक शुरू कर दिया गया है। यह भद्दा मजाक युवाओं के अभिभावकों की लूट के साथ साथ युवाओं के जख्मों पर नमक छिडक़ने जैसा है।’ ये बात मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने कही है।
युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ का आरोप
इस बयान को जारी करते हुए उन्होने कहा कि दिसंबर 22 में सहकारी बैंकों के 1100 पदों की भर्ती के लिए वैकेंसी निकली थी जिसकी लिखित परीक्षा 23 से 25 मार्च 23 में प्रदेश के पांच केंद्रों पर करवाई गई। इस परीक्षा का आयोजन आईबीपीएस द्वारा करवाया गया, जो देश भर में बैंकों की भर्ती परीक्षा के लिए अधिकृत एजेंसी है। माकपा नेता ने कहा है कि इस परीक्षा के लिए एक लाख से ज्यादा परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी। जिनसे पांच सौ रुपए फीस और 90 रुपए जीएसटी वसूली गई। इतना ही नहीं यदि आवेदन के लिए दस्तावेज तैयार करने और फिर परीक्षा केंद्र तक जाने की राशि को मिलाकर एक परीक्षार्थी का दो हजार रुपए भी खर्च हुआ हो, तो बीस करोड़ की चपत इन बेरोजगार युवकों के परिजनों को लगाई गई। परीक्षार्थियों को आशा थी कि उन्हें रोजगार मिल जाएगा।
चयनित परीक्षार्थियों को नौकरी देने की मांग
जसविंदर सिंह ने कहा है कि इस परीक्षा का परिणाम 7 दिसंबर 23 को आया है। अब चयनित परीक्षार्थियों को बैंक में नौकरी देने की बजाय सहकारी बैंक घाटे का बहाना बनाकर चयनितों को नौकरी देने से मना कर रहे हैं। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा है कि जब दिसंबर 22 में वैकेंसियां निकाली गई थी तब घाटे वाली बात सामने क्यों नहीं आई थी? जाहिर सी बात है कि यह परीक्षार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने की गहरी साजिश का हिस्सा है। माकपा ने सहकारी बैंकों से सभी चयनित परीक्षार्थियों को नौकरी देने की मांग की है।