उमा के पत्थर पर बोले मंत्री जी, ‘दुकानदार कराए FIR, सरकार थोड़ी कराएगी,

Gaurav Sharma
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महेन्द्र सिंह सिसौदिया

भोपाल डेस्क रिपोर्ट। शराब की दुकान पर उमा भारती द्वारा पत्थर फेंके जाने को लेकर मध्य प्रदेश के पंचायत मंत्री महेंद्र सिसोदिया का बड़ा बयान आया है। मंत्री जी ने कहा है कि जिस दुकानदार की दुकान पर पत्थर फेंका उसी ने रिपोर्ट नहीं कराई जबकि FIR उसी को करानी थी। सरकार FIR थोड़ी कराएगी।

पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने साफ कहा कि जिस की दुकान टूटी है उसे FIR करानी चाहिए। पीड़ित वही है। उसी की फरियाद पर रिपोर्ट दर्ज होगी। सरकार रिपोर्ट थोड़ी दर्ज कराएगी। अगर वही कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है तो फिर काहे की कार्रवाई होगी। इतना ही नहीं, मंत्री जी ने साफ माना कि गुजरात जैसे राज्य में नशाबंदी लागू है वहां पर सबसे ज्यादा शराब स्मगलिंग अगर हो रही है तो महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से हो रही है।

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मंत्री जी ने यह भी कहा कि जहां पाबंदी होती है वहां लोग नियम कायदे तोड़कर शराब पीते हैं। इतना ही नहीं, मंत्री जी ने यह भी कहा कि राजस्व एक महत्वपूर्ण चीज है और मध्य प्रदेश में आज आय का एक प्रमुख साधन शराब है। सरकार की लिकर पॉलिसी से ही हमारा बड़ा रिवेन्यू कलेक्शन होता है। जिसको पीना है वो पीये जिसको नहीं पीना वह नहीं पिए। बस इतना है कि अवैध चीज नहीं होना चाहिए और लाइसेंस के माध्यम से ही शराब बिकनी चाहिए। हालांकि बाद में मंत्री जी ने यह भी कहा कि मेरा व्यक्तिगत सोच है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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