विधायक दीपक सक्सेना ने ली प्रोटेम स्पीकर की शपथ, 15वीं विधानसभा में निभाएंगें महत्वपूर्ण भूमिका

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भोपाल

छिंदवाड़ा के विधायक दीपक सक्सेना को मध्यप्रदेश विधानसभा का प्रोटेम स्पीकर (अस्थायी) बनाया गया है।आज राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दोपहर 1 बजे सक्सेना को प्रोटेम स्पीकर के रूप में शपथ दिलाई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री कमलनाथ, मंत्रिमंडल के सदस्य और अन्य विधायक मौजूद रहे।नवगठित विधानसभा के विधायकों को शपथ दिलाने के लिए सात जनवरी से पहला सत्र शुरू होगा। इसमें प्रोटेम स्पीकर सक्सेना सभी विधायकों को शपथ दिलाएंगे। 

मीडिया से चर्चा के दौरान शपथ लेकर बाहर निकले प्रोटेम स्पीकर दीपक सक्सेना ने कहा कि मैं तो 2 दिन के लिए ही प्रोटेम स्पीकर बना हूं, जब उनसे पूछा गया कि मंत्री नहीं बने आप तो उनका कहना था कि अभी नहीं बने तो 4 महीने बाद बन जाऊंगा । हमारे कमलनाथ बन गए सीएम वह मेरे लिए बड़ी चीज है। कमलनाथ के लिए सीट छोड़ने पर सक्सेना ने कहा कि कमलनाथ जी को मैंने पहले ही प्रस्ताव रखा था और अगर वे बोलेंगें को मैं सीट छोड़ दूंगा।सक्सेना को कमलनाथ का करीबी माना जाता है। हाल ही में कमलनाथ के छिंदवाड़ा दौरे पर उन्होंने मुख्यमंत्री के लिए अपनी विधानसभा सीट भी छोड़ने की पेशकश की थी।

15 वीं विधानसभा में विधायकों को दिलाएंगे शपथ

दीपक सक्सेना छिंदवाड़ा से चौथी बार विधायक निर्वाचित हुए हैं।  प्रोटेम स्पीकर बनने के बाद दीपक सक्सेना 15वीं विधानसभा के पहले सत्र में नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाएंगे। वे विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव तक ये जिम्मेदारी संभालेंगे।  उम्मीद है कि अगले दिन आठ जनवरी को विधानसभा अध्यक्ष का विधिवत चुनाव होगा। प्रोटेम स्‍पीकर सक्‍सेना 1993 में दसवीं विधान सभा के सदस्‍य निर्वाचित एवं राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) लोक स्‍वास्‍थ्‍य यांत्रिकी विभाग रहे है। 1998 में ग्‍यारहवीं विधानसभा के सदस्‍य निर्वाचित एवं मंत्री लोक स्‍वास्‍थ्‍य यांत्रिकी विभाग रहे। सन् 2008 में तीसरी बार विधानसभा सदस्‍य निर्वाचित। पन्‍द्रवी विधानसभा चौथी बार विधानसभा सदस्‍य निर्वाचित होकर म.प्र.विधानसभा के प्रोटेम अध्‍यक्ष 2 जनवारी 2019 को हुए।

कौन होता है प्रोटेम स्पीकर 

प्रोटेम स्पीकर बनने की लिए जरूरी है कि वो सदन के सबसे सीनियर सदस्यों में से एक हो उसे सदन चलाने के लिए महत्पूर्ण नियमों का ज्ञान हो।  विधायक की छवि एक साफ सुथरे ईमानदार सदस्य की हो। प्रोटेम स्पीकर के पास स्थायी स्पीकर जैसे अधिकार नहीं होते। सदन को भंग करने जैसे अति महत्त्पूर्ण निर्णय प्रोटेम स्पीकर के द्वारा नहीं लिए जा सकते। ये प्रोटेम स्पीकर पर निर्भर करता है की वो बहुमत साबित करने के लिए किये जा रहे वोटिंग में कौन से तरीके का इस्तेमाल करे।


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