MP News : मध्य प्रदेश सरकार रोजगार देने के बड़े बड़े वादे और दावे करती है, पिछली दिनों ही 1 लाख पदों को भरने की घोषणा सरकार ने की है और इसे 15 अगस्त भरने की टाइम लिमिट भी रखी हैं लेकिन सरकारी नौकरी देने के वादे और उसकी जमीनी हकीकत में कितना बड़ा अंतर हैं ये हम आज आपको बतायेंगे, हमें उन डेंटल स्टूडेंट्स ने अपनी व्यथा बताई है जिसे ना सिर्फ सरकार ने ठगा, मेडिकल एजुकेशन विभाग ने ठगा बल्कि लगे हाथ कांग्रेस ने भी मौके का फायद उठा कर उन्हें ठग लिया, इनमें से किसी ने भावनाओं के साथ, किसी ने भविष्य के साथ तो किसी ने पैसों के साथ ठगा, अब इन डेंटल स्टूडेंट्स ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर उनके सामने न्याय की गुहार लगाई है।
क्या है पूरा मामला
मामला 2017 में बीडीएस (बैचलर ऑफ़ डेंटल सर्जरी) कोर्स में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स से जुड़ा है, इस साल करीब 1300 स्टूडेंट्स ने प्रदेश में डेंटल कॉलेजों में एडमिशन लिया, एडमिशन के समय 7 जुलाई 2017 को राजपत्र के अनुसार उनसे इंटर्नशिप के बाद एक साल ग्रामीण क्षेत्र में सरकारी सेवा का बॉन्ड भरवाया गया, शर्तों के अनुसार बॉन्ड तोड़ने पर 10 लाख रुपये हर्जाने के सहमति पत्र पर भी दस्तखत लिए गए, लेकिन जब 2022 में कोर्स पूरा हुआ और स्टूडेंट्स ने ग्रामीण क्षेत्र में पोस्टिंग के लिए अपडेट लेना शुरू किया तो उन्हें जो बताया गया उससे उनके होश उड़ गए।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री और अधिकारियों ने ये कहा स्टूडेंट्स से
मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के अधिकारियों से लेकर डीएमई और चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने जो इन स्टूडेंट्स से कहा वो सुनकर उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ, विभाग के लगातार चक्कर लगाने के बाद उन्हें अहसास हो गया कि सरकार ने उनके साथ धोखा किया, पहले सरकारी नौकरी देने का वाद किया और जब देने की बात आई तो सरकार पीछे हट गई। स्टूडेंट्स को बड़ी ही मासूमियत या यूँ कहें सहज भाव से ये कह दिया गया कि राजपत्र में ग्रामीण क्षेत्र के बॉन्ड के बारे में गलत छप गया था , ये बॉन्ड केवल एमबीबीएस स्टूडेंट्स के लिए होता हैं, बीडीएस स्टूडेंट्स के लिए नहीं होता।
राजपत्र में बॉन्ड छपने और पोस्टिंग लेटर को बताया गलती
मजेदार बात ये है कि राजपत्र में गलती से छप जाने की बात बताने और बीडीएस स्टूडेंट्स पर ग्रामीण क्षेत्र का बॉन्ड लागू नहीं होने के बाद भी डीएमई के कई डेंटल स्टूडेंट्स को ग्रामीण क्षेत्र में एक साल की पोस्टिंग के लैटर जारी कर दिए, ये वो स्टूडेंट्स हैं जिन्होंने मेधावी छात्र योजना के तहत सरकार से स्कॉलरशिप ली, अब किस नियम के तहत सरकारी नौकरी का पत्र कैसे जारी हो गया ये सोचकर शेष बचे स्टूडेंट्स परेशान हैं। यहाँ समझने वाली बात ये है कि राज पत्र में अव्वल तो गलती कैसे हुई? और यदि गलती हो भी गई तो मेडिकल एजुकेशन विभाग के अधिकारी क्या आंख बंद कर बैठे रहे? ये सब कैसे हुआ, इसका जवाब तो सरकार को देना होगा।
विपक्ष ने भी राजनीति की आग पर सेके हाथ
सरकार की इस वादाखिलाफी और भावनात्मक ठगी के बाद स्टूडेंट्स की तकलीफ यहीं कम नहीं होती उनकी भावनाओं और भविष्य के साथ खिलवाड़ के लिए कांग्रेस मैदान में आती हैं, कांग्रेस के दो नेता एडवोकेट गोपील कोटवाल और उत्कर्ष पटेरिया ने इन स्टूडेंट्स से संपर्क किया और भरोसा दिया कि हम आपका केस जबलपुर हाईकोर्ट की मुख्य बेंच में लड़ेंगे, सरकार ने आपके साथ गलत किया हैं। कहते हैं डूबते को तिनके का सहारा होता है, डेंटल स्टूडेंट्स ने सोचा कि ये विपक्ष के नेता हैं हमारा साथ दे रहे हैं हो सकता है कि सरकार पर दबाव बने और हमें एक साल के लिए सरकारी नौकरी मिल जाये जिससे दूसरे अस्पतालों में नौकरी करते समय एक साल का अनुभव प्रमाण पत्र तो होगा, जिसका फायदा उन्हें मिलेगा लेकिन यहाँ भी स्टूडेंट्स को धोखा मिला।
स्टूडेंट्स से कांग्रेस नेताओं ने ठग लिए रुपये
12 जनवरी 2023 को स्टूडेंट्स की पहली मुलाकात दोनों कांग्रेस नेताओं से हुई, नेताओं ने एफिडेविट के नाम पर प्रति व्यक्ति 1100/ रुपये मांगे, कुछ स्टूडेंट्स ने उन्हें 13 जनवरी को 7500 और फिर 25 जनवरी को 7100 रुपये ऑनलाइन भेजे, डेंटल स्टूडेंट्स ने एक उम्मीद में व्हाट्स एप ग्रुप बना लिया और दोनों कांग्रेस नेताओं एडवोकेट गोपील कोटवाल और उत्कर्ष पटेरिया से सम्पर्क करते रहे, समय बीतने लगा लेकिन नेताओं ने स्टूडेंट्स को कोर्ट में लगे केस का नंबर ही नहीं बताया, स्टूडेंट्स ने कहा कि बार बार मांगने पर केस नम्बर नहीं देने पर हम लोगों को संदेह हुआ तो हमने अपने पैसे वापस मांगे तो दोनों नेताओं ने कहा कि हम विक्रांत भूरिया के व्यक्ति हैं हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, पैसे वापस नहीं मिलेंगे। स्टूडेंट्स ने युवा कांग्रेस अध्यक्ष बीवी श्रीनिवास से इस धोखे की शिकायत की है लेकिन वहां से भी उन्हें कोई न्याय नहीं मिला।
भविष्य को लेकर संशय में हैं मेडिकल स्टूडेंट्स
परेशान डेंटल स्टूडेंट्स को अब अपना भविष्य अंधकार में दिख रहा हैं, उनका कहना है कि हमने एक साल की सरकारी नौकरी के वादे और बांड के आधार पर ना तो पीजी में एडमिशन लिया और ना ही किसी अस्पताल में जॉब ट्राई किया, अब हमें समझ नहीं आ रहा कि हम कहाँ जाएँ, हमने मुख्यमंत्री से पूरे मामले की शिकायत की हैं देखते हैं खुद को मामा कहने वाले सीएम शिवराज हम भांजियों की सुध लेते हैं या अपने ही अधिकारियों का साथ देते हैं।
सबकी निगाहें अब मुख्यमंत्री शिवराज पर
बहरहाल डेंटल स्टूडेट्स के साथ जो हुआ उसे धोखा कहा जाये, भावनात्मक छलावा कहा जाये या कुछ और, आखिर उनका एक साल बर्बाद होने का जिम्मेदार कौन हैं ? क्या डीएमई हैं या चिकित्सा शिक्षा विभाग के वो अधिकारी जिन्होंने राजपत्र में बीडीएस के लिए भी ग्रामीण बॉन्ड छपने दे दिया या वो अधिकारी जिन्होंने आंख बंद कर बस अधिकारियों के निर्देशों का पालन करते हुए बॉन्ड भरवा लिया और फिर नोटिस भेजते रहे बाद में नियम बताकर नौकरी देने से इंकार कर दिया। उम्मीद की जाना चाहिए कि प्रदेश के संजीदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस पर कोई ठोस निर्णय जरूर लेंगे, जिससे डेंटल स्टूडेंट्स के बर्बाद हुए साल की भरपाई हो पाए।