MP : किसानों को 1 जनवरी को मिल सकता है ‘कर्जमाफी’ सर्टिफिकेट

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JABALPUR

भोपाल।

मध्य प्रदेश की नई नवेली कमलनाथ सरकार प्रदेश के किसानों को नए साल का तोहफा दे सकती है। कमलनाथ सरकार अपने वादे के मुताबिक वचन पत्र में दिए गए आश्वासन के तहत सहकारी और व्यावसायिक बैंकों से ऋण पाए किसानों के कर्ज माफ कर सकती है। कमलनाथ के निर्देश के बाद सरकार इस काम में तेजी से जुड़ गई है और मुख्य सचिव ने  शनिवार को एक बैठक लेकर अधिकारियों को इस बारे में तेजी से काम करने के निर्देश दिए हैं। 

शनिवार को ही सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव केसी गुप्ता ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सभी जिला सहकारी बैंकों को निर्देश दिए हैं कि वे रविवार की देर शाम तक सभी किसानों की सूची भेजें जिन्होंने सहकारी बैंकों से कर्ज दिया है। इसके साथ ही व्यवसायिक बैंकों को भी सोमवार की शाम तक सभी किसानों की सूची भेजने के निर्देश दिए गए हैं। सरकार कर्ज माफी के लिए उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब और कर्नाटक के मॉडलों का अध्ययन कर रही है और इनके आधार पर ही मध्य प्रदेश में किसानों की कर्ज माफी का फार्मूला तय किया जाएगा।सूत्रों के मुताबिक सोमवार तक अंतिम आंकड़े आ जायेंगे।

इन अफसरों को भेजा गया पंजाब-महाराष्ट्र

पंजाब और महाराष्ट्र मॉडल का अध्ययन करने के लिए मंडी बोर्ड के प्रबंध संचालक फैज अहमद किदवई चंडीगढ़ और एडीशनल डायरेक्टर बीएम सहारे महाराष्ट्र गए हैं। मैप आईटी की टीम को भी चंडीगढ़ भेजा गया है, क्योंकि पंजाब सरकार ने किसानों की तमाम जानकारी, आधार लिंक, अलग-अलग कैटेगरी के कर्ज के साथ डिफाल्टर किसानों की अलग-अलग श्रेणियों को लेकर एक पोर्टल तैयार किया है। टीम इसका अध्ययन करेगी, ताकि मप्र में भी ऐसा ही पोर्टल तैयार हो जाए। कर्जमाफी से जुड़े तमाम प्रयासों को लेकर एक-दो दिन में कृषि व वित्त विभाग के अधिकारियों की चर्चाओं का दौर जारी है। शासन स्तर पर ऐसी तैयारी है कि सरकार के गठन के तुरंत बाद दस दिन के भीतर कर्ज माफी के आदेश जारी होंगे। बताया जा रहा है कि कांग्रेस की नई सरकार को कर्जमाफी के लिए कम से कम 18 से 20 हजार करोड़ रुपए की जरूरत होगी। 

बैंकों से मांगा गया कर्जमाफी का ब्यौरा

शनिवार को मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने कृषि एवं सहकारिता विभाग के अधिकारियों की बैठक लेकर इसकी तैयारी के बारे में पूछा और बैंकों से कर्जमाफी का ब्योरा मांगाने को कहा। सहकारिता अधिकारियों ने बताया कि हमारे पास 40.96 लाख किसानों पर 56 हजार करोड़ का कर्ज होने का अनुमान है।  

नाथ के वचन पर शिवराज की नजर 

किसानों पर जो कर्ज है वह सहकारी बैंक, राष्ट्रीयकृत बैंक, ग्रामीण विकास बैंक और निजी बैंकों का है। वहीं, प्रदेश के 21 लाख किसानों पर करीब 20 हजार करोड़ का कर्जा है, लेकिन इसे अदा नहीं किया है। उसमें डूबत कर्ज को माफ करने के साथ नियमित कर्ज पर लगभग 25 हजार रुपए प्रोत्साहन दिया जाएगा। वहीं बीजेपी की भी नजर कर्जमाफी के वचन पर है| शिवराज सिंह चौहान कई बार यह दोहरा चुके हैं कि कांग्रेस अपने वचन को याद रखे और दस दिन में कर्ज माफ़ी करे। वहीं पूर्व वित्तमंत्री जयंत मलैया ने भी कर्जमाफी पर सवाल उठाते हुए शंका जाहिर की है कि अगर कर्जमाफी हुई तो वित्तीय हालात बिगड़ेंगे। 

2 लाख तक का कर्जा होगा माफ

कर्जमाफी के ब्लूप्रिंट में 2 लाख तक का कर्जा माफ करने की योजना है। कर्जमाफी के दायरे में सहकारी और राष्ट्रीयकृत बैंक दोनों आएंगे। कर्जमाफी का फायदा ओवरड्यू और समय पर लेनदेन करने वाले किसानों को कर्ज खाते में वर्तमान कर्जराशि के आधार पर माफी मिलेगी। कर्जमाफी से राज्य पर करीब 60 हजार करोड़ रुपए का वित्तीय भर आएगा। कर्जमाफी के ब्लूप्रिंट में माफी के लिए राशि जुटाने का जरिया भी शामिल है। 

लोकसभा को ध्यान में रखकर होगी कर्जमाफी

कर्जमाफी के ब्लूप्रिंट से जुड़े सूत्रों ने बताया कि चूंकि निकट भविष्य में देश में लोकसभा चुनाव होना है, ऐसे में मप्र में किसानों की कर्जमाफी को पूरा करना कांग्रेस की प्राथमिकता में है। क्योंकि अभी तक भाजपा चुनावों में यह आरोप लगाती आ रही है कि पंजाब एवं कर्नाटक में कांग्रेस ने किसानों का कर्जा माफ नहीं किया। यही वजह है कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर किसानों की कर्जमाफी करेगी। वहीं चुनाव नतीजों के बाद राहुल गाँधी का एक वीडियो भी वायरल हो रहा जिसमे वह कर्जमाफी को नकारते नजर आ रहे। जानकारों का कहना है कि आने वाले करीब 6 माह में लोकसभा चुनाव भी है ऐसे में सरकार के पास समय कम है। इसलिए इस घोषणा पर अमल करना चुनौती भी है लेकिन जरूरी भी है| मध्‍य प्रदेश के 41 लाख किसानों ने 56,377 करोड़ रुपये लोन लिया है। वहीं 21 लाख ऐसे किसान हैं जिन्‍होंने 14,300 करोड़ रुपये का कर्ज लिया और अदा नहीं किया है। यह कर्ज अब एनपीए बन चुका है। इसमें वे किसान भी शामिल हैं जिन्‍होंने 2 लाख रुपये से ज्‍यादा का लोन ले रखा है। 

ये है पंजाब मॉडल

बताते चले कि पंजाब सरकार की किसान कर्ज राहत योजना के तहत मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने हाल ही में अपने चार जिलों के 1,09,730 सीमांत किसानों को वाणिज्यिक बैंकों के 1,771 करोड़ रुपये के कर्ज से राहत दी है। इसी के साथ यहां सरकार ने 2.5 से 5 एकड़ जमीन वाले किसानों के लिए छूट योजना में विस्तार किया है। सरकार अगले चरण में 2.5 से 5 एकड़ जमीन वालों को लाभ देने जा रही है जिसमें कि आगे सामुदायिक और वाणिज्यिक बैंकों से कर्ज लेने वाले 2.5 से 5 एकड़ जमीन रखने वाले किसानों को शामिल किया गया है। सभी सीमांत और छोटे किसानों को 2 लाख रुपये की कर्ज छूट दी गई है, जिन्होंने 2 लाख रुपये तक का कर्ज लिया था। पहले चरण के तहत सामुदायिक बैंकों से कर्ज लेने वाले 3.18 लाख सीमांत किसानों को कुल 1,815 करोड़ रुपये की राहत दी गयी थी।

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद लोगों में सबसे ज्यादा चर्चा सबसे बड़ी घोषणा कर्जमाफी की हो रही है, क्यूंकि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी ने चुनाव रैलियों में ऐलान किया था कि सरकार बनने के दस दिन के भीतर किसानों का कर्ज माफ़ कर दिया जाएगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो 11वे दिन मुख्यमंत्री बदल दिया जाएगा। पार्टी ने अपने वचन पत्र में भी इसे शामिल किया और यही माना जा रहा है कि यही वादा कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम कर गया और वह बहुमत के करीब पहुंचने में कामयाब रही। अब कांग्रेस इस वादे पर अमल करने में जुट गई है। 


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