भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) ने भारत की आजादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान करने वाले शहीदों की याद में 30 जनवरी “शहीदी दिवस” पर सुबह 11 बजे दो मिनट का मौन रखने का आदेश जारी किया है। सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने इसके लिए आदेश निकाल कर सभी विभागाध्यक्षों, संभागीय आयुक्त और कलेक्टर को अपने अपने कार्यालयों में दो मिनट का मौन रखने के निर्देश जारी किए हैं। लेकिन पत्र में महात्मा गांधी का नाम नहीं होने पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई है और भाजपा पर हमला किया है।
देश में हर साल 30 जनवरी को शहीदों की याद में दो मिनट का मौन रखा जाने परंपरा है, नाथूराम गोडसे ने इसी दिन 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या भी की थी तभी से इस दिन को शहीदों की याद में शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
मध्य प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने भी इस दिन सरकारी कार्यालयों में 11 बजे दो मिनट का मौन रखने का आदेश जारी किया है। आदेश में सरकारी कार्यालयों के साथ साथ जनता की भागीदारी के साथ दो मिनट का मौन रखने के निर्देश दिए गए हैं।
आदेश में कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षों में देखा गया है कि सायरन बजने के बाद दो मिनट का मौन शुरू होने पर भी कुछ कर्मचारी कार्यालयों में काम करते है इसलिए मौन शुरू होते ही जो जहाँ है वहीं रुक जाये और दो मिनट मौन रखकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करे।
सरकार का आदेश जारी होने के बाद कांग्रेस ने इस पर आपत्ति जताई है। कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने एक ट्वीट कर आदेश पर आपत्ति जताते हुए भाजपा पर हमला किया। केके मिश्रा ने लिखा – यह सच है कि आपकी विचारधारा में गांधी का हत्यारा गौड़से समाहित है,गांधी फर्जी पिता हैं (बकौल मोहन यादव जी, उच्च शिक्षा मंत्री)! उनसे इतनी सार्वजनिक नफ़रत भी उचित नहीं कि उनके शहीदी दिवस पर 2 मिनिट के मौन रखे जाने वाले GAD के परिपत्र में ग़ांधी का नाम ही गायब?
यह सच है कि आपकी विचारधारा में गांधी का हत्यारा गौड़से समाहित है,गांधी फर्जी पिता हैं (बकौल मोहन यादव जी,उच्च शिक्षा मंत्री)! उनसे इतनी सार्वजनिक नफ़रत भी उचित नहीं कि उनके शहीदी दिवस पर 2 मिनिट के मौन रखे जाने वाले GAD के परिपत्र में ग़ांधी का नाम ही गायब? @ChouhanShivrajpic.twitter.com/cRu699q87r
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....