MP News : डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे के इस्तीफे को राज्य शासन ने नामंजूर (Nisha Bangre Resign Reject) कर दिया है, धार्मिक आयोजन में शामिल होने के लिए छुट्टी नहीं मिलने का आरोप लगाते हुए छतरपुर एसडीएम के पद पर पदस्थ डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने 22 जून को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, उन्होंने प्रदेश सरकार पर मानसिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित करने के गंभीर आरोप लगाये थे, अब इस मामले में एक नया मोड़ आया है, मप्र शासन के सामान्य प्रशासन विभाग (जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट, GAD MP) ने उनके इस्तीफे को नामंजूर कर दिया है।
इस्तीफा नामंजूर करने की ये वजह बताई GAD ने
22 जून को दिए इस्तीफे पर राज्य शासन ने अब फैसला लेते हुए इसे अस्वीकार कर दिया, मप्र सामान्य प्रशासन विभाग ने निशा बांगरे के संबंध में 6 सितंबर को एक आदेश जारी किया जिसमें इस्तीफा अस्वीकार करते हुए उनपर जानबूझकर शासन के निर्देशों की अवहेलना और अनुशासनहीनता का आरोप लगाया है, आदेश में इन्हीं आरोपों और मामले की जांच की बात कहते हुए उनके इस्तीफे को अमान्य घोषित किया गया है।
कोर्ट का रुख कर सकती हैं निशा बांगरे
इस्तीफा अस्वीकार किये जाने के बाद माना जा रहा है कि डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे कोर्ट का रुख कर सकती है, उन्होंने अपने इस्तीफे में शिवराज सरकार पर मानसिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित करने के आरोप लगाये थे, महिला अधिकारी ने लिखा था कि दलित होने के कारण सरकार ने उन्हें सर्व धर्म प्रार्थना में शामिल होने की अनुमति नहीं दी।
2017 में बतौर डिप्टी कलेक्टर चयनित हुई थीं निशा बांगरे
मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले की रहने वाली निशा बांगरे ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और इसके बाद गुरुग्राम (गुडगाँव) स्थित एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी की, उन्होंने सिविल सर्विसेज की तैयारी की और 2016 में DSP के पद पर उनका चयन हो गया, उन्होंने फिर परीक्षा दी और 2017 में उनका चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर हो गया, उनके पति एक मल्टी नेशनल कंपनी (MNC) में जॉब करते हैं, उनके एक बेटा भी है।
कमलनाथ से की थी मुलाकात, राजनीति में एंट्री पर लग सकता है विराम
इस्तीफा देने के बाद निशा बांगरे ने पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष कमलनाथ से मुलाकात की थी , इसके बाद चर्चा शुरू हो गई थी कि निशा बांगरे राजनीति में कदम रखेंगी और विधानसभा चुनाव लड़ेंगी, इस बात को उन्होंने खुद भी स्वीकारा था, माना जा रहा है कि वे बैतूल की आमला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकती हैं लेकिन अब उनके इस्तीफे के शासन द्वारा नामंजूर किये बाद उनके राजनीति में प्रवेश पर थोड़ा विराम लग गया है।
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