भोपाल,डेस्क रिपोर्ट। एमपी (mp school) में शैक्षणिक सत्र 2022-23 की शुरुआत हो गई है। बता दें कि कोरोना के बाद पहली बार स्कूल पूरी क्षमता के साथ संचालित हो रहे हैं। ऐसे में इस बार बच्चों के स्कूली बस्तों के बढ़ते बोझ को कम करने की कवायद शुरू हो गई है, इसको लेकर मध्य प्रदेश बाल आयोग सख्त नजर आ रहा है। राजधानी भोपाल में बाल आयोग की टीम ने कई निजी स्कूलों का औचक निरीक्षण किया। जिसमें टीम ने कई स्कूलों को सख्त निर्देश भी दिए हैं।
बता दें कि शनिवार को मध्य प्रदेश बाल आयोग की टीम ने राजधानी के निजी स्कूलों किया में औचक निरीक्षण किया था। जहां कई स्कूलों में बच्चों के बस्ते का वजन ज्यादा मिला। बस्ते का बोझ जितना तय किया गया है, उससे कही ज्यादा था। ऐसे में बाल आयोग ने स्कूलों को सख्त निर्देश दिए हैं कि बच्चों के बैग का वजन ज्यादा नहीं होना चाहिए।
स्कूलों में बच्चों को बैग के लिए दिए यह है निर्देश:
>> स्कूलों में बच्चों के वजन के अनुसार बस्ते का वजन होगा।
>> प्री-प्राइमरी कक्षाओं के बच्चों के लिए बस्ता नहीं होगा, जबकि ग्यारवीं-बारहवीं में 35 से 40 किलो वजन के बच्चे के लिए बस्ते का वजन 3.5 किलोग्राम से पांच किलोग्राम तक होगा।
>> कक्षा प्राइमरी के लिए बच्चे का वजन 10 से 16 किलो होने पर कोई बस्ता नहीं।
>> कक्षा फर्स्ट ओर 2nd के लिए बच्चे का वजन 16 से 22 किलो, बस्ते का वजन 1 किलो 600 ग्राम से लेकर 2 किलो 200 ग्राम।
>> कक्षा थर्ड के लिए बच्चे का वजन 17 से 25 किलो, बस्ते का वजन 1 किलो 700 ग्राम से 2 -ढाई किलो।
>> पांचवी-छठी और सातवीं के बच्चों का वजन 20 से 30 किलो, बस्ते का वजन 2 से 3 किलो.आठवीं, नौवीं, दसवीं के बच्चे का वजन 25 से 45 किलो के बीच, बस्ते का वजन ढाई किलो से साढ़े 4 किलो के बीच।
आयोग ने अपने सर्वे में पाया कि, देश में कुल स्कूलों की संख्या में प्राइवेट और निजी स्कूल ज्यादा कमीशन के चक्कर में पाठ्यक्रम से बाहर की किताबों की सिफारिश करते हैं और बस्तों का बोझ बढ़ाते हैं।
मध्य प्रदेश बाल आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान ने बताया कि इस तरह का अभियान प्रदेश भर में चलेगा। जहां बच्चों को पढ़ाई के अलावा उनके दूसरे सभी कामों पर भी स्कूलों को ध्यान रखने के निर्देश दिए गए हैं। किसी भी बच्चे के बस्ते का वजन ज्यादा न हो, जबकि उन्हें घर से लाने और ले जाने तक का पूरा ध्यान रखा जाएगा। इसको लेकर मध्य प्रदेश के सभी स्कूलों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
वहीं मध्य प्रदेश में बीएड -डीएलएड के टीचर्स और स्टूडेंट्स को अब ब्रेल लिपि भी अनिवार्य रूप से सिखाई जाएगी। जिसमें ब्रेल और सांकेतिक भाषा के प्रारंभिक ज्ञान की जानकारी दी जाएगी। प्रदेश भर में करीब 10 हजार शिक्षकों को इसकी इसकी ट्रेनिंग कराई जाएगी। जहां हर प्रशिक्षणार्थी को अन्य 5 शिक्षक साथियों और 5 बच्चों को सिखाने का लक्ष्य। दिया जाएगा। फिलहाल हर जिले से 2-2 शिक्षकों और मोबाइल स्त्रोत सलाहकारों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।