भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। प्राकृतिक एवं जैविक के साथ गौवंश आधारित खेती के मिशन पर मध्य प्रदेश सरकार मुस्तैद दिखाई दे रही है। वही प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने प्राकृतिक व जैविक खेती के साथ गौवंश आधारित खेती को लेकर मुहिम छेड़ दी है।
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कृषि मंत्री कमल पटेल ने जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के 59 वें स्थापना समारोह को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा कि रसायनिक उर्वरकों के अत्याधिक उपयोग से किसानों के खेतों की मिट्टी जहरीले हो रही है और इस मिट्टी में जो फसल ली जा रही है। उस के उपयोग से कई गंभीर बीमारियों का जन्म हो रहा है। आज हमारे देश का नागरिक इसको खाने से कैंसर जैसी बीमारी की चपेट में आ रहा है। मंत्री पटेल ने कहा कि मैं किसान हूं इसलिए मुझे खेती किसानी की बहुत चिंता है। किसानों के साथ ही देश और प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य के प्रति भी हमें सजग रहना होगा। इसी सजगता को लेकर मैंने कृषि मंत्री बनते से ही प्राकृतिक और जैविक खेती पर फोकस करते हुए कहां था कि हमारे यहां 12 विभाग हैं और उनके विभागाध्यक्ष लेकिन प्राकृतिक एवं जैविक खेती के लिए कोई विभाग नहीं है जबकि हमारा प्रदेश देश में परंपरागत जैविक और गौवंश आधारित खेती किसानी में अव्वल है। मैंने उस समय मैंने कुलपति बिसेन से कहा था कि मध्यप्रदेश में कृषि के पाठ्यक्रम में जैविक और प्राकृतिक खेती का अलग विभाग बनाकर उसका विभागाध्यक्ष बनाते हुए शिक्षा अध्ययन कर रहे छात्र छात्राओं को पढ़ाने पर जोर दिया जाए। कृषि विश्वविद्यालय ने इस ओर बुनियादी कदम उठाए हैं। साथ ही भविष्य में इसका एक अलग विभाग बनेगा ऐसी मुझे उम्मीद है। कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि मध्यप्रदेश के 14 जिलों में प्राकृतिक खेती के लिए 59 हजार किसानों का पंजीयन के साथ 28 हजार किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसलिए इस मिशन के अंतर्गत कृषि विश्व विद्यालय की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाती है।