National Eye Donation fortnight : नेत्रदान एक ऐसी मानवीय सेवा है जिसमें एक व्यक्ति मृत्यु के बाद भी किसी दूसरे के काम आ सकता है। अपनी आंखें दान कर किसी नेत्रहीन व्यक्ति के जीवन में रोशनी ला सकता है। हमारे यहां 25 अगस्त से 8 सितंबर तक ‘नेत्रदान पखवाड़ा मनाया’ जा रहा है। इस दौरान लोगों को नेत्रदान के लिए जागरुक करने का प्रयास होता है।
नेत्रदान के महत्व के बारे में जागरुकता बढ़ाने और इससे जुड़े मिथक दूर करने के लिए पिछले 38 सालों से भारत में नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जा रहा है। इस दौरान अस्पताल, समाजसेवी संस्थाएं और विभिन्न संगठन कई तरह के शिविर और कार्यक्रम आयोजित करते हैं। लोगों को शिक्षित और प्रोत्साहित किया जाता है कि वे जाने के बाद अपनी आंखें किसी और को दान कर जाएं। ये एक ऐसा उपहार है जिसके जरिए व्यक्ति मृत्यु के बाद भी दूसरों की दृष्टि में जीवित रह सकता है।
2020 के एक अध्ययन के मुताबित, दुनियाभर में लगभग 4.33 करोड़ लोग नेत्रहीन हैं। भारत में ये संख्या लगभग 1.4 करोड़ है। आंकड़ों की बात करें तो प्रति 70 व्यक्ति सिर्फ 1 कॉर्निया उपलब्ध है। इस तरह अनुपात में इतना अंतर है, जिसे भरने में देश के साथ पूरी दुनिया में जागरुकता लाना जरुरी है। नेत्रदान एक पुण्य का कार्य है और डॉक्टरों का कहना है कि एडवांस तकनीक के बाद एक स्वस्थ कॉर्निया मिलने पर पांच लोगों को रोशनी मिल सकती है। नेत्रदान पखवाड़े में लोगों को यह समझाया जाता है कि वे अपनी आँखों को दान करके किसी के जीवन को बेहतर बना सकते हैं। इस बारे में हमें और जानकारी दी भोपाल के जाने माने नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टर ललित श्रीवास्तव ने।