भोपाल| सरकार ने जिला सरकार की अवधारणा को फिर से व्यवहार में लाने का निर्णय लिया है। 15 साल पहले पूर्ववर्ती कांग्रेसी सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह भी इस व्यवस्था को लागू कर चुके हैं। अब जिला सरकार को अधिकार देकर शक्तिशाली बनाया जाएगा, जिलों के काम वहीं हो जाएंगे, इसके लिए बार-बार भोपाल मुख्यालय आने या फाइलों को भेजने की जरूरत नहीं होगी। इसकी तैयारियां तेज हो गई है और मुख्य सचिव एसआर मोहंती ने विभागों की चरणबद्ध बैठक करना तय किया है। इसकी पहली बैठक 22 जून को होगी, जिसमें पांच विभागों के अफसर शामिल होंगे। इस ब���ठक के बाद दूसरे विभागों के साथ चरणबद्ध बैठकें होंगी। इसके बाद अधिकारों का फाइनल ड्रॉफ्ट तैयार होगा।
जिला सरकार को शक्तिशाली बनाने के लिए जिला योजना समितियों को वित्तीय अधिकार भी देगी। यह अधिकार 2004 के पहले वाली जिला योजना समितियों से भी ज्यादा होंगे। स्थानीय अधोसंरचना के सभी निर्णय जिला सरकार ही करेगी। जो प्रारूप तैयार किया जा रहा है, उसमें जिला योजना समिति वास्तविक रूप से जिला सरकार के रूप में काम करेगी। इसमें जिलास्तर की योजनाओं का चिन्हांकन किया जाएगा। योजनाओं में हितग्राही चयन और अधोसंरचना विकास के अधिकार भी दिए जाएंगे। साथ ही नियमित समीक्षा के अधिकार भी जिलास्तर पर रहेंगे। जिला सरकार को कितनी राशि तक टेंडर करने के अधिकार दिए जाए इस पर विचार-विमर्श हो रहा है। शुरूआती तौर पर तीन करोड़ तक का विचार था, लेकिन सीएम कमलनाथ और वित्त मंत्री तरुण भनोत के स्तर पर इससे ज्यादा के अधिकार दिए जा सकते हैं। यह अधिकार 25 करोड़ तक हो सकते हैं।
मुख्य सचिव एसआर मोहंती ने विभागों की चरणबद्ध बैठक करना तय किया है। इसकी पहली बैठक 22 जून को होगी, जिसमें पांच विभागों के अफसर शामिल होंगे।पहले चरण में पंचायत एवं ग्रामीण विकास, लोक स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, जल संसाधन व पीएचई से चर्चा होगी। इसमें प्रमुख सचिवों से पूछा जाएगा कि वे किन-किन अधिकारों को जिलास्तर पर देने में सहमत हैं। इसमें हर विभाग की संबंधित योजना के मंजूरी देने व टेंडर करने तक के अधिकार फाइनल किए जाएंगे। प्रत्येक प्रमुख सचिव को अभिमत देना होगा कि किन अधिनियमों व नियमों में कितने अधिकार जिलास्तर पर दिए जा सकते हैं। इस प्रारूप को तैयार किये जाने के बाद जल्द ही जिला सरकार की अवधारणा धरातल पर दिखने लगेगी।