भोपाल।
कोरोना काल (corona) में सिर्फ इंसानों का ही नुकसान नहीं हो रहा बल्कि पैसों की भी बलि चढ रही है। कोरोना के लिए रेलवे का आइसोलेशन प्रोजेक्ट (isolation project) पूरी तरह फेल हो गया है। कोरोना पॉजिटिव मरीजों को आइसोलेशन वार्ड (isolation ward) में भर्ती करने के लिए रेलने ने पूरी तैयारी कर ली थी। इसके लिए भोपाल सहित अन्य जोन में 133 कोच (railway coach) को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील कर दिया गया था लेकिन इन वार्डों का प्रयोग तो छोड़ सरकार का ध्यान तक इनकी तरफ नहीं गया। इस तब्दीली में रेलवे ने साढ़े छह करोड़ से ज्यादा रूपए खर्च कर दिए थे और अब फिर रेलवे इन आइसोलेशन कोच को पैसेंजर कोच (passenger coach) में बदल रहा है ताकि उनका प्रयोग श्रमिक और स्पेशन ट्रेनों में किया जा सके।
देश में 22 मार्च से लॉकडाउन शुरू हो गया था और पश्चिम-मध्य रेलवे के भोपाल और जबलपुर कोच फैक्टी में आइसोलेशन वार्ड बनाने का काम 10 अप्रैल तक पूरा हो गया था। जिन्हें आइसोलेशन वार्ड बनाया गया था उनके लिए रेलवे के उत्कृष्ट कोच का इस्तेमाल किया गया था। इस दौरान एक कोच को तैयार करने में लगभग 50 हजार रूपये का खर्च आया था और 133 कोच बनाने में 6 करोड़ (6 crore) से ज्यादा खर्च हो चुके हैं।
आइसोलेशन कोच के चक्कर में कंडम कोच का काम अटका
भोपाल की निशातपुरा कोच फैक्ट्री में सैकडों कडंम कोच को रिपेयर करने का काम इस साल किया जाना था। बहुत से कोच रिपेयर करने का आर्डर भी मिल चुका था, लेकिन लॉकडाउन के बाद से ही रेलवे के कर्मचारी आइसोलेशन कोच बनाने में जुट गए जिस वजह से इस बार कोच की रिपेयरिंग का काम भी अधर में लटका रह जाएगा।