Tue, Dec 23, 2025

अब एआई तकनीक से होगी जंगल की निगरानी, मध्य प्रदेश पहला राज्य बना जहाँ रियल-टाइम फॉरेस्ट अलर्ट सिस्टम लागू

Written by:Atul Saxena
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रियल-टाइम वन अलर्ट प्रणाली के तहत हर संभावित बदलाव को मोबाइल ऐप के माध्यम से फील्ड स्टॉफ को भेजा जाता है, जिससे वे स्थल पर जाकर पुष्टि कर सके।
अब एआई तकनीक से होगी जंगल की निगरानी, मध्य प्रदेश पहला राज्य बना जहाँ रियल-टाइम फॉरेस्ट अलर्ट सिस्टम लागू

MP News: एआई यानि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आज के दौर को वो तकनीक है जिसने हर क्षेत्र में आश्चर्यजनक परिणाम दिए है, आज हर कोई AI का इस्तेमाल कर आगे बढ़ रहा है, तस्वीर हो, वीडियो हो, रोबोट हो या फिर किसी तरह की निगरानी करना हो ए आई तकनीक से सब संभव किया जा रहा है इसी कड़ी में अब मध्य प्रदेश अपने जंगलों की निगरानी एआई आधारित तकनीक से करेगा, प्रदेश ने इसके लिए रियल-टाइम फॉरेस्ट अलर्ट सिस्टम लागू किया और ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।

मध्य प्रदेश के जंगलों में सक्रिय वन माफिया, अवैध शिकारी, कीमती लकड़ी की चोरी करने वाले गिरोह जैसे अवैध काम धंधे वाले लोग अब ज्यादा दिन टिक नहीं पाएंगे क्योंकि अब प्रदेश में रियल-टाइम फॉरेस्ट अलर्ट सिस्टम लागू हो गया है एआई आधारित इस सिस्टम के लागू हो जाने से ना सिर्फ जंगल की निगरानी ठीक से हो सकेगी बल्कि माफिया पर भी नकेल कसी जा सकेगी।

आपको बता दें इस सिस्टम को लागू कर मध्य प्रदेश एआई आधारित रियल-टाइम वन अलर्ट प्रणाली को लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। प्रदेश में सक्रिय वन प्रबंधन की दिशा में इसे ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। यह प्रणाली उपग्रह चित्रों, मोबाइल फीडबैक और मशीन लर्निंग की मदद से कार्य करती है, जो भूमि अतिक्रमण, भूमि उपयोग परिवर्तन और वन ह्रास का पता लगाकर वन विभाग को समय पर कार्रवाई के लिये सक्षम बनाती है।

गुना DFO ने विकसित की रियल-टाइम वन अलर्ट प्रणाली

उल्लेखनीय है कि इस नवाचार की परिकल्पना वन मण्डलाधिकारी गुना अक्षय राठौर द्वारा की गयी और इसे मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव एवं अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक आईटी  बी.एस. अणिगेरी के नेतृत्व और संस्थागत समर्थन से क्रियान्वित किया गया। गूगल अर्थ इंजन पर आधारित यह प्रणाली बहु-कालिक उपग्रह आंकड़ों का विश्लेषण करती है और कस्टम एआई मॉडल की मदद से भूमि उपयोग परिवर्तन की पहचान करती है।

केवल निगरानी नहीं, बल्कि तत्काल कार्यवाही के लिये सशक्त बनाती है ये प्रणाली 

गुना डीएफओ ने बताया कि यह पहली बार है जब हमने सेटेलाइट, एआई और फील्ड फीडबैक को एक निरंतर चक्र में जोड़ा है, जो खुद को समय के साथ सुधारता है। यह प्रणाली फॉरेस्ट स्टॉफ को केवल निगरानी नहीं, बल्कि तत्काल कार्यवाही के लिये सशक्त बनाती है। अलर्ट जनरेशन और फीडबैक प्रक्रिया में प्रारंभिक अलर्ट जनरेशन में गूगल अर्थ इंजन द्वारा 3 तारीखों के उपग्रह चित्रों की तुलना, फसल, बंजर भूमि, निर्माण इत्यादि में बदलाव की पहचान करता है।

एक अलर्ट में लगभग 20+ इंडिपेंडेंट फीचर्स तैयार होते हैं

इसके साथ ही ये सिस्टम महत्वपूर्ण पिक्सल परिवर्तन के आधार पर पॉलीगन अलर्ट, फील्ड सत्यापन के अंतर्गत मोबाइल ऐप पर अलर्ट भेजना, फील्ड स्टॉफ जीपीएस टैग की गई फोटो, वाइस नोट और टिप्पणियाँ अपलोड करना एवं डेटा समृद्धि में एनडीवीआई, एसएवीआई, ईवीआई जैसे इंडेक्स और एसएआर विशेषताओं को जोड़ने से एक अलर्ट में लगभग 20+ इंडिपेंडेंट फीचर्स तैयार होते हैं। मशीन लर्निंग मॉडल सुधार के अंतर्गत फील्ड से मिले फील्ड बैक के आधार पर एआई मॉडल का पुन: प्रशिक्षण और गलत अलर्ट की संख्या में कमी के साथ सटीकता में वृद्धि होगी।

सबकुछ DFO के डेशबोर्ड पर दिखाई देगा 

इस तकनीक में वन मण्डलाधिकारी के डैशबोर्ड के लिये लाइव निगरानी के अंतर्गत नई प्रक्रिया में और पूर्ण अलर्ट की लाइव स्थिति, बीट और फील्ड पोस्ट अनुसार विभाजन और डेट, डेंसिटी, एरिया आदि के आधार पर फिल्टर एवं फील्ड स्टॉफ की ऑन-साइट कार्रवाई के लिये मोबाइल ऐप पर अलर्ट प्राप्त होगा, छवि, जीपीएस, वॉइस सहित सर्वे डाटा सबमिट और जियो फेंसिंग और दूरी मापन के फीचर अंतर्निहित होंगे।

पॉयलेट प्रोजेक्ट के रूप में 5 संवेदनशील वन मण्डलों में लागू 

वन विभाग द्वारा पॉयलेट प्रोजेक्ट के रूप में इस प्रणाली को 5 संवेदनशील वन मण्डलों में लागू किया गया है, जिनमें शिवपुरी, गुना, विदिशा, बुरहानपुर और खण्डवा शामिल हैं। इन वन मण्डलों में अतिक्रमण और वृक्ष कटाई की घटनाएँ अधिक होती हैं। इस प्रणाली को राज्य स्तर पर भी लागू किया जायेगा।