भोपाल।
मध्य प्रदेश के सियासी संग्राम पर आज बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है।लंच के बाद फिर से सुनवाई शुरु हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम विधायकों को विधानसभा की कार्रवाई में भाग लेने के लिए मजबूर नहीं कर सकते, न ही दबाव डाल सकते हैं।न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने विधायकों द्वारा हलफनामे को देखकर कहा कि वे खुद को याचिकाकर्ता के रूप में वर्णित कर रहे हैं, जैसे कि वो एक याचिका दायर करने जा रहे हैं। हमें निश्चिंत होना है। जज ने कहा कि यह उनकी पसंद है कि वे सदन में प्रवेश करना चाहते हैं या व्हिप आदि का पालन करते हैं या नहीं, लेकिन निश्चित रूप से, जब आरोप है कि उन्हें कैद में रखा जा गया तो हमें यह देखना होगा कि ये उनकी स्वतंत्र इच्छा हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम कैसे तय करें कि विधायकों के हलफनामे मर्जी से दिए गए या नहीं? यह संवैधानिक कोर्ट है। हम संविधान के दायरे में कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे। टीवी पर कुछ देखकर तय नहीं कर सकते। 16 बागी विधायक फ्लोर टेस्ट में शामिल हों या नहीं, लेकिन उन्हें बंधक नहीं रखा जा सकता। अब साफ हो चुका है कि वे कोई एक रास्ता चुनेंगे। उन्होंने जो किया उसके लिए स्वतंत्र प्रक्रिया होनी चाहिए। इसके साथ ही अदालत ने वकीलों से सलाह मांगी कि कैसे विधानसभा में बेरोकटोक आने-जाने और किसी एक का चयन सुनिश्चित हो।
रोहतगी ने कहा- हम 16 बागी विधायकों को जज के चैम्बर में पेश कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा- इसकी जरूरत नहीं है। रोहतगी ने कहा- आप विकल्प के तौर पर कर्नाटक हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को गुरुवार को विधायकों के पास भेजकर वीडियो रिकॉर्डिंग करा सकते हैं। कांग्रेस चाहती है कि विधायक भोपाल आएं ताकि उन्हें प्रभावित कर खरीद-फरोख्त की जा सके। विधायक उनसे मिलना ही नहीं चाहते तो कांग्रेस क्यों इस पर जोर दे रही है।इसके बाद कल तक के लिए फ्लोर टेस्ट पर सुनवाई टल गई। अब गुरुवार को 10-30 बजे सुनवाई होगी।
लंच से पहले क्या क्या हुआ
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि स्पीकर को पहले इस्तीफा स्वीकार करना होगा। यह एक न्यायाधीश के इस्तीफे की तरह नहीं है जहां वह अपने हाथों से इस्तीफा देता है। स्पीकर को खुद को संतुष्ट करना होगा। यद्यपि ये सुनवाई/ आर्ग्युमेंट के दौरान की टिप्पणी है, ऑर्डर नहीं है।जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जब स्पीकर ने 6 का इस्तीफा स्वीकार किया तो क्या उन्होंने सभी 22 विधायकों पर अपने विवेक का इस्तेमाल किया है।वही कांग्रेस के पक्षकार ने कहा किआज सबसे बुनियादी मुद्दा यह है कि राज्यपाल एक फ्लोर टेस्ट के लिए कैसे निर्देशित कर सकते हैं? वह यह तय करने वाले कोई नहीं है। कांग्रेस के पक्षकार ने दलील देते हुए कहा कि इस्तीफे पर निर्णय लेने के लिए राज्यपाल की कोई भूमिका नहीं है।इसके बाद सुप्रीम कोर्ट का बेंच लंच के लिए उठ गया। अब आगे की सुनवाई लंच के बाद होगी।
सुनवाई के दौरान बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह ने कहा है कि कोई विधायक हिरासत में नहीं है।
कमलनाथ सरकार की ओर से पेश होने वाले वकील दुष्यंत दवे ने कहा है कि चुने हुए विधायकों को क्षेत्र की सेवा करनी होती है। वह अचानक नहीं कह सकते कि इस्तीफा दे रहे हैं।दवे की दलील- राज्यपाल को फ्लोर टेस्ट का आदेश नहीं देना चाहिए था। जो विधायक इस्तीफा दे रहे हैं, चुनाव में जनता के बीच जाएं। इस पर जस्टिस गुप्ता ने कहा- वही तो कर रहे हैं। उन्होंने सदस्यता छोड़ दी और फिर से मतदाताओं के पास जाना चाहते हैं। इस पर दवे ने कहा- खाली हुई सीटों पर उपचुनाव होने तक फ्लोर टेस्ट को टाल दिया जाए। भाजपा के वकील ने कांग्रेस की मांग की विरोध किया। कहा- हम तुरंत फ्लोर टेस्ट कराना चाहते हैं। कमलनाथ बहुमत खो चुके हैं। कांग्रेस सरकार को एक दिन भी नहीं चलना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में मध्य प्रदेश मामले की सुनवाई दो बजे तक के लिए टाल दी गई है। वहीं बीजेपी नेताओं की ओर से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि राज्यपाल राज्य के संवैधानिक मुखिया हैं, उनकी जिम्मेदारी है देखना कि सब कुछ संविधान के मुताबिक चले।
सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस द्वारा विधायकों को बंधक बनाने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कांग्रेस के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि 16 विधायकों को अवैध रूप से हिरासत में रखा गया है। मध्य प्रदेश में 15 महीनों से एक स्थिर सरकार काम कर रही है। दवे ने कहा कि फ्लोर टेस्ट पर सुनवाई के लिए इतनी जल्दबाजी क्यों की जा रही है। आज सुनवाई नहीं हुई तो कोई आसमान नहीं गिर जाएगा। क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे विधायक अचानक इस्तीफा नहीं दे सकते। बागी विधायकों के वकील ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि कोई भी विधायक हिरासत में नहीं है।जिस पर जस्टिस ने जवाब दिया है।हालांकि आगे की सुनवाई होना बाकी है।
इसके पहले कांग्रेस के वकील कपिल सिब्बल ने किसी अन्य केस मे व्यवस्ता की बात करके दोपहर तक का समय मांगा था ।वे वोडाफोन मामले की सुनवाई में व्यस्त है ।इसी के साथ में मुकुल रोहतगी भी किसी अन्य मैटर में व्यस्त थे ।इसी कारण से सुनवाई अभी नहीं हो पाई।
ये है पूरा मामला
मध्यप्रदेश के मौजूदा हालात को देखते हुए बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाराज खटखटाया है।मध्यप्रदेश में तुरंत कमलनाथ सरकार के फ्लोर टेस्ट की मांग करने वाली पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की अर्ज़ी लगाई है। इस पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की और मुख्यमंत्री कमलनाथ, विधानसभा अध्यक्ष और राज्यपाल समेत सभी जिम्मेदारों को नोटिस जारी किया।
मंगलवार को जारी हुए थे नोटिस
मंगलवार को शिवराज के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई ।कांग्रेस की तरफ से कोई भी उपस्थित नहीं हुआ ना तो वकील ना ही मुख्यमंत्री ना ही कोई सांसद ना ही कोई विधायक। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार 10:30 बजे मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से लोगों को उपस्थित होने का नोटिस जारी किया।इसमें विधानसभा अध्यक्ष और राज्यपाल सचिवालय को भी नोटिस जारी किया गया है। 24 घंटे में दोनों अपना पक्ष रखना है । कोरोना को ध्यान में रखने हुए विशेष व्यवस्था की गई है।सभी जिम्मेदार ईमेल व्हाट्सएप से नोटिस जारी कर अपना पक्ष रख सकते है। आज सुबह सुनवाई नही हो सकी इसके चलते दोपहर तक मामले को टाल दिया गया है। अब लंच के बाद सुनवाई की जाएगी। सबकी निगाहें अब सुप्रीम कोर्ट पर है कि फैसला किसके हक में आएगा।