भोपाल। मध्य प्रदेश में दिसंबर महीने से ‘वन नेशन-वन राशन कार्ड’ व्यवस्था लागू की जा सकती है। ‘वन नेशन-वन राशन कार्ड’ के तहत हितग्राही किसी भी राशन दुकान से रियायत दर पर गेहूं, चावल, दाल नमक ले सकेंगे। बता दें कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के साढ़े पांच करोड़ से ज्यादा हितग्राही को इसका लाभ मिलेगा। इस योजना का लाभ उठाने के लिए मध्य प्रदेश में अब तक चार करोड़ से ज्यादा हितग्राहियों का आधार नंबर से रजिस्ट्रेशन हो चुका है। प्रतिदिन करीब एक लाख से ज्यादा हितग्राहियों का पंजीयन किया जा रहा है, इस पंजीयन में प्रवासी मजदूर भी शामिल है।
बता दें कि साल 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 5 करोड़ से ज्यादा हितग्राहियों को प्रदेशभर की 5 हजार 490 दुकानों के जरिए एक रुपए प्रति किलो के हिसाब से गेहूं और चावल राशन दिया जा रहा है। वहीं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून की मामने तो प्रदेश की कुल आबादी का 75 फीसद हिस्सा खाद्यान्न सुरक्षा के दायरे में आता है।
वहीं प्रदेश सरकार लगातार केंद्र सरकार से कोटा बढ़ाने की मांग कर रहा है। बता दें कि कोटा दर कम होने की वजह से अभी भी करीब 8 लाख से ज्यादा हितग्राही परिवारों को रियायती दर पर राशन नहीं मिल पा रहा है।
बता दें कि कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण के रोकथाम के लिए केंद्र सरकार द्वारा लॉक डाउन लगाया गया था, लॉक डाउन के दौरान हितग्राहियों को सरकार ने तीन महीने का राशन फ्री में दिया गया था। वहीं अब सरकार ने तय किया है कि सभी हितग्राहियों के लिए पात्रता पर्ची जारी की जाएगी।
बताया जा रहा है कि ‘वन नेशन-वन राशन कार्ड’ योजना में इन्हें भी शामिल किया जाएगा, जिसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वे का काम जारी है। वहीं खाद्य विभाग के अधिकारी का कहना है कि प्रदेश में हितग्राहियों को पाइंट ऑफ सेल्स मशीन के माध्यम से यह सुविधा पहले ही दी जा चुकी है कि वे जिले की किसी भी दुकान से राशन ले सकते हैं। वहीं चार करोड़ से ज्यादा हितग्राहियों के आधार नंबर लिंक हो चुके हैं, जिसकी पूरी जानकारी सर्वर में दर्ज की जा चुकि है। जैसे ही पाइंट ऑफ सेल्स मशीन में इनका ब्योरा दर्ज किया जाएगा, पूरी जानकारी सामने आ जाएगी और राशन दे दिया जाएगा।
वहीं हितग्राही चाहें तो दो या तीन बार में अपने हिस्से का राशन ले सकते है। खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग के संचालक तरुण कुमार पिथौड़े का कहना है कि वन नेशन-वन राशन कार्ड को लेकर प्रदेश में तेजी से काम चल रहा है। 80 प्रतिशत से ज्यादा हितग्राहियों के आधार नंबर लिए जा चुके हैं।