Item 1 Item 1 Item 1 Item 1 Item 1 Item 1 Item 1 Item 1 Item 1 Item 1

राजनीति की विषय वस्तु नहीं हैं पद्म सम्मान : कृष्णमोहन झा

डेस्क रिपोर्ट। केंद्र सरकार ने 73वें गणतंत्र दिवस के पुनीत अवसर पर पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व राज्य सभा सदस्य गुलाम नबी आजाद को पद्मभूषण सम्मान प्रदान करने की घोषणा की है परंतु बुद्ध देव भट्टाचार्य ने यह सम्मान स्वीकार करने से इंकार कर दिया है और उनकी पार्टी ने उनके इस फैसले का समर्थन किया है जबकि गुलाम नबी आजाद द्वारा यह सम्मान सहर्ष स्वीकार कर लिए जाने से कांग्रेस का एक वर्ग खफा दिखाई दे रहा है यद्यपि कांग्रेस के अनेक वरिष्ठ नेताओं ने गुलाम नबी आजाद को पद्मभूषण सम्मान दिए जाने का स्वागत किया है। मनमोहन सरकार में मंत्री रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश की प्रतिक्रिया से यह ध्वनि निकलती है कि बुद्ध देव भट्टाचार्य के समान ही गुलाब नबी आजाद को पद्मभूषण सम्मान लेने से इंकार कर देना चाहिए ।

यह भी पढ़ें…Cabinet Meeting 2022: शिवराज कैबिनेट के फैसले पर अमल, दायित्व निर्धारित, ये होंगे सदस्य

गौरतलब है कि 40 वर्षों के संसदीय कार्य काल के बाद राज्य सभा से गुलाम नबी आजाद की विदाई के वक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी न केवल भावुक हो गए थे बल्कि उन्होंने यह भी कहा था कि हम गुलाम नबी आजाद को अधिक समय तक सदन से बाहर नहीं रहने देंगे। प्रधानमंत्री के इस कथन के राजनीतिक निहितार्थ भी निकाले गए थे। जयराम रमेश कहते हैं कि बुद्ध देव भट्टाचार्य आजाद रहना चाहते हैं न कि गुलाम। अतीत में कांग्रेस की प्रवक्ता रह चुकी शिव सेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने जयराम रमेश की इस प्रतिक्रिया पर ऐतराज जताते हुए कहा है कि पद्म पुरस्कार अस्वीकार कर देने पर कि सी को आजाद बताना और स्वीकार कर लेने पर किसी को गुलाम बताना यह साबित करता है कि इन सम्मानों के प्रति आपके विचार कितने सतही हैं। जयराम रमेश के बयान का मतलब यही निकाला जा रहा है कि आगे चलकर गुलाम नबी आजाद भाजपा के खेमे में शामिल हो सकते हैं यद्यपि आजाद यह कह चुके हैं कि जिस दिन कश्मीर में काली बर्फ गिरने लगेगी उसी दिन वे भाजपा में शामिल होने की सोच सकते हैं ।


About Author
Gaurav Sharma

Gaurav Sharma

पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।