भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कोरोना (Corona) ने प्रदेश के उन हजारों अधिकारी-कर्मचारियों (Officers And Employee) को दोहरे संकट में डाल दिया है जो मार्च के बाद सेवानिवृत्त (Retired) हुए हैं। सेवानिवृत्ति के सात माह बाद भी इनकी पेंशन शुरू नहीं हो सकी है। इसके चलते ये अधिकारी-कर्मचारी अब कोरोना के साथ-साथ आर्थिक तंगी से भी जूझ रहे हैं। विभागों की लापरवाही के लिए मानव अधिकार आयोग ने मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस (Chief Secretary Iqbal Singh Bains) से जवाब मांगा है।
मध्यप्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) का नियम है कि अधिकारी या कर्मचारी जिस दिन सेवानिवृत्त होगा, उस दिन उसके सारे स्वत्व का भुगतान कर दिया जाएगा। उसके अलावा उसकी पेंशन भी चालू कर दी जाएगी। मध्य प्रदेश में 1 अप्रैल से 31 अक्टूबर के बीच 20 हजार से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी रिटायर हुए हैं। लेकिन अब तक उनकी पेंशन शुरू नहीं हो पाई है। रिटायरमेंट के बाद होने वाले भुगतान भी नहीं हो पाए हैं।
दरअसल शासकीय सेवकों को सेवानिवृत्त होने पर साढे 16 महीने की तनख्वाह या 20 लाख रुपए जो भी ज्यादा हो उसका भुगतान किया जाता है। कोरोनावायरस की वजह से मार्च से जुलाई के बीच सरकार की आय पर खासा असर पड़ा था जो घटकर 40% रह गई थी।
यह पहला मौका है जब सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों को पीपीओ के नाम पर खलीफा पर मिल रहे हैं। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह मामला पेंशन संचालनालय स्तर का है। संचालनालय ने इस पर रोक लगाई है। मामले में मानव अधिकार आयोग ने मुख्य सचिव प्रमुख सचिव वित्त विभाग संचालक पेंशन संचालनालय से जवाब मांगा है।