पेसा एक्ट जनजातीय भाई बहनों को सशक्त करेगा : शिवराज

Gaurav Sharma
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MP PESA ACT : मध्य प्रदेश सरकार ने बड़े ही ज़ोरों शोरों के साथ राष्ट्रपति की उपस्थिति में राज्य में पेसा एक्ट लागू करने की घोषणा की थी। अब राज्य सरकार का पूरा ध्यान इस एक्ट के प्रति लोगों को जागरूक करने पर केंद्रित है जिसको लेकर इन्होंने जागरूकता सम्मेलनों की शुरुआत की है। इसके अंतर्गत सरकार के दिग्गज नेता आदिवासी क्षेत्रों में जाकर लोगों को इस एक्ट से होने वाले लाभ की जानकारी प्रदान कर रहे हैं और बता रहे हैं कि कैसे यह एक्ट उनके हित में हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कल धार में पेसा जागरूकता सम्मेलन में भाग लिया। यह सम्मेलन धार जिले के कुक्षी में आयोजित किया गया।

क्या कहा शिवराज ने

मुख्यमंत्री ने अपने उद्बोधन में लोगों को बताया कि कैसे यह एक्ट प्रदेश में लागू होने से उन्हें मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा “मेरे भाइयों-बहनों, प्रदेश में पेसा एक्ट लागू कर दिया गया है। यह जनजातीय भाई-बहनों के हित में है, गैर-जनजातीय भाई-बहनों के विरुद्ध नहीं है। यह जनजातीय भाई को सशक्त बनाने वाला एक्ट है”।

बिना ग्राम सभा मंजूरी के नहीं होगा ज़मीन अधिग्रहण

अक्सर जनजातीय इलाकों में देखा जाता है कि किसी प्रोजेक्ट के चलते जनजातीय लोगों की जमीन का अधिग्रहण कर लिया जाता है जिसके बाद उन्हें उनकी जमीनों से बेरुख होना पड़ता है। लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में सुनिश्चित किया कि अब ऐसा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि “पेसा एक्ट में विकास कार्यों या किसी भी प्रोजेक्ट के लिए जमीन ग्रामसभाओं के माध्यम से ही ली जा सकेंगी। ग्राम सभा मना कर देगी, तो उस भूमि का अधिग्रहण नहीं किया जा सकेगा”

हर साल भरी जाएगी पूरी जानकारी

अक्सर जानकारी के अभाव में जनजातीय लोगों को धोखाधड़ी का सामना भी करना पड़ता है। ऐसा ना हो इस बात को सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री ने बताया कि “पेसा एक्ट में अब पटवारी को हर साल ग्राम सभा के बीच में वन क्षेत्र और गांव की जमीन का नक्शा तथा खसरे की नकल व पूरी डिटेल भरनी होगी, ताकि धोखाधड़ी से किसी की जमीन किसी के नाम न हो जाये”

बिना जानकारी गांव से बाहर नहीं ले जा सकेंगे मजदूर

जनजातीय लोगों के शोषण को रोकने के लिए शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि पेसा एक्ट में “अब गांवों से मजदूरों को ले जाने से पहले ले जाने वाले व्यक्ति को ग्राम सभा को अपना परिचय देने के साथ यह बताना होगा कि श्रमिकों को कहां ले जाया जा रहा है, ताकि उनके संकट में फंसने पर हम मदद कर सकें”।

अवैध शराब की बिक्री के विरुद्ध कार्यवाही कर सकेगी ग्राम सभा

मुख्यमंत्री ने बताया कि अब यदि गांव में अवैध शराब की बिक्री का मामला सामने आता है इस सूरत में जो भी निर्णय और कार्यवाही है उसका पूरा अधिकार ग्रामसभा को होगा। साथ ही यदि शराब की कोई दुकान, स्कूल, अस्पताल या धर्मशाला के पास है, तो ग्राम सभा को यह अधिकार होगा कि उसको हटाने की अनुशंसा वह सरकार को भेज दे।

इसके अलावा ग्राम सभा यह सुनिश्चित करेगी कि मजदूर को उसके पूरी मजदूरी मिले। अपने गांव की सीमाओं के अंदर इकट्ठे किए गए वनोपज का रेट भी ग्रामसभा ही तय करेगी।गांव के विकास के लिए आने वाले पैसे का उपयोग किस तरह करना है इसका निर्णय भी ग्रामसभा ही करें।

बिना ग्राम सभी अनुमति के नहीं होगा सर्व

मुख्यमंत्री ने गांव और ग्राम सभाओं को उनके विशेष अधिकार बताते हुए कहा कि “अगर सरकार को अनुसूचित क्षेत्र में से कोई भी खनिज का पट्टा, रेत, मिट्टी, गिट्टी व पत्थर लेना हो तो सर्वे भी तब करेगी जब गाँव वाले व ग्राम सभा अनुमति देंगे”। मुख्यमंत्री ने बताया कि “खदानों व खनिजों पर पहला अधिकार जनजातीय सोसाइटी का, दूसरा अधिकार जनजातीय बहनों का, तीसरा अधिकार जनजातीय पुरुष का होगा और यदि वह मना करें तो फिर किसी ओर का अधिकार होगा”। इसके अलावा यदि ग्राम सभाएं चाहेंगी, तो तेंदूपत्ता को तोड़वाने का काम और उसका बिक्री का मूल्य भी तय कर सकेंगी। गांवों के विकास के लिए आने वाली राशि के उपयोग का निर्णय भी अब गांव के लोग और ग्राम सभाएं करेंगी।

ब्याज से अब नहीं होगा किसी का शोषण

अक्सर देखा जाता है कि लोभी लोग मासूम जनजाति है लोगों को ब्याज के जाल में फंसा कर उनका शोषण करते हैं। अधिक दरों पर दिए गए ब्याज को यह मासूम लोग कभी नहीं चुका पाते हैं और हमेशा ही इसके जाल में फंसे रहते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री ने मंच से यह स्पष्ट किया कि “हमारी सरकार में यह शोषण नहीं होगा। अगर किसी ने निर्धारित ब्याज से ज्यादा या बिना लाइसेंस के कर्जा दिया तो वह कर्ज वसूली नहीं करवा पाएगा। वह कर्ज माफ कर दिया जाएगा”

शिवराज सिंह चौहान ने अपने उद्बोधन में लोगों को बताया कि यह है कि उनके हित में है विरुद्ध में नहीं। यह एक्ट जनजातीय लोगों को ने केवल मजबूती प्रदान करेगा बल्कि उन्हें आर्थिक और सामाजिक रूप से भी सशक्त करेगा।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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