भारत के लोकतंत्र का अनमोल रत्न होता है राष्ट्रपति का पद- प्रवीण कक्कड़

भोपाल, प्रवीण कक्कड़। भारत के 15वें राष्ट्रपति का चुनाव (President Of India) सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) भारत की नवनिर्वाचित राष्ट्रपति बनीं और वरिष्ठ नेता श्री यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) ने संसदीय गरिमा के अनुरूप चुनाव में भाग लिया। इस लेख में हम राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election)  की राजनीति के बजाय भारत के राष्ट्रपति के पद के महत्व के बारे में चर्चा करेंगे। जब भारत का संविधान बन रहा था, तब इस बात पर बड़ी गंभीरता से विचार चल रहा था कि भारत में अमेरिका की तर्ज की राष्ट्रपति प्रणाली होनी चाहिए या ब्रिटेन की तर्ज वाली संसदीय यानी प्रधानमंत्री प्रणाली।

संविधान सभा की स्थापना से पहले ही पंडित जवाहरलाल नेहरू ने विधि विशेषज्ञ और उस जमाने के प्रतिष्ठित न्यायाधीश श्री बी एन राऊ से आग्रह किया की वे भारत के लिए एक भविष्योन्मुखी और वर्तमान पर खरा उतरने वाले संविधान का निर्माण करें। बीएन राउ साहब दुनिया के अलग-अलग देशों में गए और वहां के संविधान और शासन प्रणाली का अध्ययन किया।


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Kashish Trivedi

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