भोपाल। लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पारित होने को लेकर विरोध के स्वर उठने लगे हैं। राजधानी भोपाल में मंगलवार को हुए अलग-अलग प्रदर्शनों के दौरान सभी जाति, धर्म, समुदाय, वर्गों के लोगों ने एक स्वर में इसका विरोध करते हुए इसे लोकतांत्रिक व्यवस्था का मखौल बताया। बड़ी तादाद में एकत्र हुईं संस्थाओं के पदाधिकारियों ने इस बदलाव को देश के टुकड़े करने वाला और एक समुदाय विशेष को टारगेट करने वाला बताया।
अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस के मौके पर भोपाल के बाणगंगा चौराहे और इकबाल मैदान पर मानव श्रृंखला बनाकर संशोधन का विरोध किया गया। इस मौके पर लेखक, कलाकार, कवि, सामाजिक कार्यकर्ताओं के अलावा बड़ी तादाद में शहरियों ने अपनी आमद दर्ज कराई। मौजूद वक्ताओं ने इस विधेयक को भारत के संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों और प्रावधानों के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि विधेयक में पाकिस्तान, बांगलादेश, अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देना और देश में मौजूद मुसलमानों को हाशिये पर ले जाना एक तय लक्ष्य पर काम करने वाला कृत्य बताया।
टुकड़ों में बंटने नहीं देंगे देश : मसूद
कार्यक्रम में मौजूद मध्य विधायक आरिफ मसूद ने कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार लगातार ऐसे कामों को अंजाम दे रही है, जिससे देश की एकता, अखंडता और यहां के संविधान के लिए खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के निर्णय थोपकर भाजपा सरकार देश को कई टुकड़ों में विभाजित कर देगी। देश की अवाम इसको बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब द्वारा दिए गए संविधान में किसी तरह की दखलअंदाजी को देश के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने वाला कदम माना जा सकता है।
सरकारों का काम संविधान की हिफाजत, उसमें तोड़मरोड़ नहीं : जमीयत उलेमा
नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 भारतीय संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। नागरिकता एक्ट 1955 में किया गया संशोधन, भारतीय संविधान की मूलभूत धाराएं 14-15 के खिलाफ है, जो किसी नागरिक के विरुद्ध के केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग,जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर विभेद की आज्ञा नहीं देतीं।
जमीयत उलमा मध्यप्रदेश के प्रेस सचिव हाजी मोहम्मद इमरान ने कहा कि जमीयत उलेमा मध्यप्रदेश इस परिवर्तन को भारतीय संविधान के विपरीत मानता है। उन्होंने कहा कि आशा है कि राज्यसभा में इसको आवश्यक समर्थन प्राप्त नहीं होगा और यह बिल अपने परिणाम तक नहीं पहुंचेगा। हाजी इमरान ने कहा कि जमीयत उलमा मध्यप्रदेश प्रदेश स्तर पर संविधान एवं सिद्धांतों की समर्थक सभी पार्टियों से अपील करती है कि वह राज्यसभा के अलावा पूरे प्रदेश में पूरी क्षमता-शक्ति से इसके विरुद्ध अपना मत विरोध करें। उन्होंने कहा कि जमीअत उलमा मध्यप्रदेश के अध्यक्ष हाजी मोहम्मद हारून ने भी इस बिल का विरोध किया है एवं राष्ट्रीय जमीअत उलमा हिन्द ने केंद्रीय स्तर पर इस बिल का विरोध किया है और राष्ट्रीय अध्यक्ष जमीअत उलमा हिन्द कारी सैयद उस्मान मंसूरपुरी एवं राष्ट्रीय महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने इस बिल का विरोध केद्रीय स्तर पर किया है।