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Wed, Dec 17, 2025

PWD मंत्री के निर्देश के बाद एक्शन में विभाग, अधिकारियों से मांगी ब्रिज, आरओबी, फ्लाई ओवर, एलिवेटेड कॉरिडोर की जानकारी

Written by:Atul Saxena
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PWD का राजधानी भोपाल का 90 डिग्री का पुल चर्चा में आने के बाद अब विभाग प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों में तैयार हुए सभी पुलों की जाँच करेगा, इनके डिजाइन से लेकर टेक्नीकल बिन्दुओं की समीक्षा की जाएगी ।
PWD मंत्री के निर्देश के बाद एक्शन में विभाग, अधिकारियों से मांगी ब्रिज, आरओबी, फ्लाई ओवर, एलिवेटेड कॉरिडोर की जानकारी

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के ऐशबाग क्षेत्र में PWD द्वारा बनाये गए नए पुल में 90 डिग्री के मोड़ की चर्चा ने सिर्फ सितासत को ही नहीं गरमाया बल्कि विभाग में भी हडकंप भी मचा दिया, मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के निर्देश पर वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबन की सजा दी गई है और अब विभाग की किरकिरी होने के बाद विभागीय मंत्री ने निगरानी शुरू कर दी है।

भोपाल के 90 डिग्री पुल की चर्चा पूरी तरह से शांत नहीं हुई थी कि इंदौर के भी एक 90 डिग्री पु की चर्चा मीडिया में शुरू हो गई, हालाँकि लोक निर्माण विभाग के मंत्री राकेश सिंह ने स्पष्टीकरण देते हुए दोनों पुलों के मोड़ को 90 डिग्री होने से इंकार कर दिया, उन्होंने कहा कि भोपाल के पुल का मोड़ 119 डिग्री है और इंदौर का 114 डिग्री है बावजूद इसके दोनों पुल विभाग के लिए परेशानी बने हुए हैं।

PWD मंत्री ने कहा सभी पुलों की जाँच एक्सपर्ट कमेटी करेगी 

PWD मंत्री राकेश सिंह ने कल बुधवार को मीडिया से चर्चा कर दोनों पुलों की गुणवत्ता, डिजाइन, मोड़ सहित अन्य टेक्नीकल बिन्दुओं पर विस्तार से बात की और कहा कि हम लगातार समीक्षा कर रहे हैं, जहाँ गलती होगी उसे सुधारा जायेगा और जो दोषी होगा उसे सजा दी जाएगी साथ ही उन्होंने पुलों की जाँच के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी भी बनाने की बात कही।

प्रमुख अभियंता ने अधिकारियों को लिखा पत्र 

मंत्री ने निर्देश के बाद लोक निर्माण विभाग एक्शन में आया है विभाग के प्रमुख अभियंता केपी एस राणा ने प्रदेश के सभी मुख्य अभियंता, अधीक्षक यंत्री और कार्यपालन यंत्री को निर्देश दिए हैं कि वे उनके परिक्षेत्र में बने ब्रिज, आरओबी, फ्लाई ओवर, एलिवेटेड कॉरिडोर की जानकारी भेजे, पत्र में समय समय पर जारी की गई गाइड लाइन के आधार पर जानकारी चाही गई है।

तीन दिन में मांगी पुलों की अपडेट जानकारी  

पत्र में चार बिन्दुओं का खास तौर पर उल्लेख किया गया है ये हैं तीव्र मोड़, वाहनों की गति के अनुसार पर्याप्त टर्निंग रेडियस का ना होना , मोड़ पर इन्टरनल/एक्सटर्नल वाइंडिंग का पर्याप्त प्रावधान ना होना, वाहनों की गति के अनुसार मोड़ पर सुपर एलिवेशन का ना होना, विभाग ने इन सभी बिन्दुओं पर तीन दिन में जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कहा है।