भोपाल| मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (मैनिट) के हॉस्टल कमरों में क्वॉरंटीन सेंटर बनाने के बाद प्रबंधन ने हजारों विद्यार्थियों को मानसून के ऐन मौके पर उनके हाल पर छोड़ दिया है। मैनिट के 1900 से अधिक छात्रों और भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (IISER) के सैकड़ों छात्रों ने संस्थान के प्रबंधन और जिला प्रशासन, भोपाल से अपील की है कि उनका करियर बचाएं|
जिला प्रशासन द्वारा इन संस्थानों को Covid केयर सेंटर और क्वारंटाइन सेंटर के रूप में उपयोग के लिए हॉस्टलों को अधिग्रहण किया गया है, जिसके खिलाफ छात्र एक सप्ताह से अधिक समय से आंदोलन कर रहे हैं। छात्रों के अलावा कैंपस में रहने वाले टीचिंग फेकल्टी और उनके वृद्ध माता-पिता को भी कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा है। छात्रों का आरोप है कि जून के पहले सप्ताह में उनकी अनुपस्थिति में उनके हॉस्टल और कमरों के ताले टूट गए।
संस्थान के निदेशक डॉ नरेंद्र सिंह रघुवंशी को छात्रों द्वारा दिए गए ज्ञापन में MANIT के छात्रों ने आशंका व्यक्त की है कि अन्य हिस्सों के अलावा भोपाल में स्थिति बिगड़ती जा रही है। कम से कम छह महीने तक शैक्षणिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने की कोई संभावना नहीं है। जिन छात्रों को मार्च में लॉकडाउन प्रतिबंध के समय हॉस्टल छोड़ने के लिए कहा गया था, उन्हें कहा गया था, “संभावना है कि COVID-19 से कुल उन्मूलन और नियंत्रण में कई महीने लग सकते हैं। यदि MANIT, भोपाल के पूरे परिसर को COVID-19 क्वारंटाइन सेंटर में बदल दिया जाता है, तो हम अपनी कक्षाओं को निकट भविष्य में कम से कम छह महीने के भीतर शुरू नहीं कर पाएंगे।
MANIT के छात्रों और प्रशासन के अनुसार 11 छात्रों के हॉस्टल में से केवल दो को ही छोड़ा गया है- एक गर्ल्स हॉस्टल और दूसरा जहाँ NRI रहते हैं। हालाँकि, इनमे से एक हॉस्टल को क्वारंटाइन सेंटर के रूप में उपयोग किया जा रहा है। MANIT के छात्रों का कहना है कि “प्रशासन शहर या होटल, लॉज, मैरिज हॉल आदि कई अन्य सरकारी इमारतों का अधिग्रहण कर सकता था| लेकिन हमारी बात अब तक अधिकारियों ने नहीं सुनी| उल्लेखनीय है कि मैनिट प्रशासन और जिला प्रशासन की कार्रवाई के विरोध में विद्यार्थियों ने प्रधानमंत्री, राजभवन एवं राष्ट्रपति कार्यालय को ई-मेल भेजकर शिकायत करते हुए हस्तक्षेप की मांग की थी, लेकिन अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है।