वरिष्ठ पत्रकार शैलेंद्र तिवारी की किताब “मेरे राम” और “कृष्ण का महाभारत” का विमोचन

शैलेंद्र तिवारी की इससे पहले “रावण एक अपराजित योद्धा”, “लंका रावण की नगरी”, और डिजिटल मीडिया किताब प्रकाशित हो चुकी है। सभी किताबें बुक स्टोर के साथ अमेजन पर भी उपलब्ध हैं।

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BHOPAL NEWS : प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार शैलेंद्र तिवारी की नयी किताब “मेरे राम” और “कृष्ण का महाभारत” का विमोचन विश्व पुस्तक मेले में देश की प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉक्टर क्षमा कौल ने किया। इस मौक़े पर वरिष्ठ साहित्यकार अग्निशेखर और प्रलेक प्रकाशन के प्रबंध निदेशक जितेन्द्र पात्रो, समीक्षक और आलोचक महेश दर्पण भी मौजूद रहे। शैलेंद्र तिवारी की इससे पहले “रावण एक अपराजित योद्धा”, “लंका रावण की नगरी”, और डिजिटल मीडिया किताब प्रकाशित हो चुकी है। सभी किताबें बुक स्टोर के साथ अमेजन पर भी उपलब्ध हैं।

राम और कृष्ण को एक अलग अन्दाज़ में समझाती किताबे 

विमोचन अवसर पर डॉक्टर क्षमा कौल ने दोनों किताबों की प्रशंसा की और किताबों की पृष्ठभूमि को बेहतरीन बताया। उन्होंने कहा कि यह दोनों किताबें नयी पीढ़ी से लेकर सभी को राम और कृष्ण को क़रीब से समझने में मदद करेंगी। दोनों किताबें राम और कृष्ण को एक अलग अन्दाज़ में समझाती हैं।

भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण एक ही सिक्के के दो पहलू भर

लेखक शैलेंद्र तिवारी ने दोनों किताब के बारे में बताते हुए कहा, भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण एक ही सिक्के के दो पहलू भर हैं, जिन्होंने धर्म की स्थापना के लिए जीवन भर मर्यादा स्थापित की। श्रीराम ने जहां क्षमा को आधार बनाया, वहीं कृष्ण ने न्याय का रास्ता अपनाया। जीवन भर दूसरों के साथ न्याय करते हुए कृष्ण आखिर में अपने साथ भी न्याय करते हैं। जीवन में न्याय के सिद्धांतों को पूरा करने के लिए खुद कष्टों को भी स्वीकार करते हैं। ऐसा योद्धा जो पूरी पृथ्वी पर अपनी शक्ति का लोहा मनवाता है, लेकिन कभी सिंहासन को स्वीकार नहीं करता है। ऐसा प्रेमी जो प्रेम के स्थापित प्रतिमानों को तोड़कर जीवन में प्रेम का असली स्वरूप प्रदर्शित करता है। 16 हजार रानियों से विवाह करके जीवन की बड़ी सीख हमें देकर जाता है। महाभारत का यश पांडवों को देता है और उसका विष खुद अपने जीवन में स्वीकार करता है। कृष्ण का महाभारत किताब श्रीकृष्ण के जीवन भर के फैसलों को उनकी नजर से देखती है, जबकि मेरे राम में राम को देखने का नया नज़रिया मिलता है।


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Sushma Bhardwaj

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