भोपाल। प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर आरक्षण की प्रक्रिया अगले महीने जनवरी में शुरू हो सकती है। इस संबंध में राज्य सरकार चालू महीने के आखिरी में निर्देश जारी कर सकती है। इस संबंध में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री और मुख्यमंत्री के बीच आरक्षण प्रक्रिया को लेकर आखिरी चरण की बैठक होना है।
प्रदेश की ज्यादातर त्रिस्तरीय पंचायतराज संस्थाओं का कार्यकाल अगले साल मार्च 2020 में समाप्त हो रहा है। नियमानुसार इसके पहले चुनाव कराना जरूरी है। इसके मद्देनजर परिसीमन भी कराया जा चुका है। इसे देखते हुए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने वार्ड से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष पद तक का आरक्षण करने का कार्यक्रम घोषित कर दिया था। 29 नवंबर को मुख्यमंत्री को भरोसे में लिए बगैर और विभागीय मंत्री कमलेश्वर पटेल के अनुमोदन के बिना अपर मुख्य सचिव गौरी सिंह ने आरक्षण करने का कार्यक्रम जारी कर दिया था। सरकार की नाराजगी के चलते कार्यक्रम को 30 नवंबर को न सिर्फ स्थगित कर दिया गया बल्कि सिंह को विभाग से भी हटा दिया।
बताया जा रहा है कि सरकार का पूरा फोकस विधानसभा के शीतकालीन सत्र पर है इसलिए कार्यक्रम दिसंबर अंत तक घोषित होने के आसार हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि आरक्षण 2011 की जनसंख्या के आधार पर होगा। इस प्रक्रिया से जुड़ी सभी अधिसूचनाएं कलेक्टर के माध्यम से जारी होंगी। आरक्षण की प्रक्रिया पूरी करके आयुक्त पंचायतराज को प्रमाणिक जानकारी विशेष वाहक के जरिए उपलब्ध कराई जाएगी। गैर अनुसूचित क्षेत्र के सरपंच और जनपद पंचायत के अध्यक्ष पद के विभिन्न् वर्गों के लिए चक्रानुक्रम से लाट निकालकर पद आरक्षित किए जाएंगे।
आरक्षित रहेंगे अधिसूचित क्षेत्र के सभी पद
अनुसूचित क्षेत्र के सभी सरपंच और जनपद पंचायत अध्यक्ष के पद अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित रहेंगे। पंचायत के वार्ड और जिला व जनपद पंचायत के निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति-जनजाति की जनसंख्या के हिसाब से और अन्य पिछड़ा वर्ग व महिलाओं के लिए पद चक्रानुक्रम से लाट निकालकर आरक्षित किए जाएंगे।