आरटीओ पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा (Saurabh Sharma) को लोकायुक्त पुलिस ने मंगलवार को गिरफ्तार किया। पूछताछ के बाद उसे कोर्ट में पेश किया गया। दो घंटे की सुनवाई के बाद कोर्ट ने सौरभ शर्मा और उसके सहयोगी चेतन सिंह गौर को 4 फरवरी तक पुलिस रिमांड पर सौंपा है। वहीं शरद जयसवाल को भी हिरासत में लिया गया है।
सौरभ शर्मा पिछले 41 दिनों से फरार था। कार्रवाई के दौरान उसके पास 52 किलो सोना, 11 करोड़ कैश समेत 90 करोड़ से अधिक की संपत्ति मिली थी। लोकायुक्त, ईडी और आयकर विभाग तीनों एजेंसियां उसकी तलाश में जुटी थी।
सरेंडर करने पहले लोकायुक्त पुलिस ने किया गिरफ्तार
27 फरवरी को सौरभ शर्मा के वकील राकेश पराशर ने सरेंडर का आवेदन किया था। कोर्ट ने 11 बजे तक का समय दिया था। कोर्ट में सरेंडर करने से पहले ही लोकायुक्त पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के लिए सहयोगी शरद जयसवाल और चेतन सिंह गौर को भी लोकायुक्त कार्यालय बुलाया गया। करीब 5 घंटे की पूछताछ के बाद आरोपियों को स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया। लोकायुक्त पुलिस ने कोर्ट से सौरभ की 7 दिन की रिमांड मांगी थी। एडीजे राम प्रताप मिश्र ने 4 फरवरी तक रिमांड पर भेजने का फैसला सुनाया है।
सौरभ शर्मा के वकील ने कोर्ट से की ये मांग
वकील राकेश पराशर 7 दिनों के रिमांड का विरोध कर रहे हैं। उन्होनें लोकयुक्त द्वारा सौरभ शर्मा की गिरफ़्तारी को अवैधानिक बताया है। उन्होनें इसे लेकर कोर्ट में अपील भी है। पूछताछ की वीडियो रिकॉर्डिंग और सुरक्षा की मांग की है। इसके अलावा गलत कार्रवाई को लोकयुक्त पुलिस पर भी कार्रवाई की माँग वकील ने कोर्ट के सामने रखी है।
लोकायुक्त डीजी ने क्या कहा?
लोकायुक्त डीजी जयदीप सिंह ने पूछताछ की वीडियो रिकॉर्डिंग से मना कर दिया है। वकील के आरोपों को लेकर उन्होनें कहा कि, “सौरभ शर्मा को एजेंसियों से कोई खतरा नहीं है। आगे की पूछताछ के बाद अन्य कई खुलासे हो सकते हैं।”