भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कोरोना अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ और एक बार फिर स्क्रब टाइफस के मामले सामने आने शुरू हो गए है, राजधानी भोपाल के तिली वार्ड में पहला मरीज मिला है। दरअसल मरीज की तबियत खराब होने पर जब उसका इलाज शुरू हुआ लेकिन आराम न मिलने पर जब उसे भोपाल के निजी अस्पताल में परिजनों ने दिखाया तो जांच के दौरान स्क्रब टाइफस सामने आया। स्वास्थ्य विभाग और निजी अस्पतालों के बीच समन्वय नहीं होने के कारण इस मरीज की सूचना अब तक सरकारी महकमे में नहीं पहुंची। यही वजह है कि आईसीएमआर पोर्टल पर भी यह जानकारी नहीं है। इससे सर्वे और रोकथाम जैसे काम अब तक शुरू ही नहीं हुए।
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बताया जा रहा है कि तिली वार्ड निवासी 38 वर्षीय व्यक्ति की तबीयत 6 अगस्त को अचानक बिगड़ गई। उसे हाथ-पैर में दर्द, बुखार और सर्दी की शिकायत हो रही थी। परिजन इसे वायरल समझकर पहले घर में ही इलाज करते रहे लेकिन सुधार न होने पर अस्पताल ले गए, परिजनों ने उसे तिली रोड स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया। यहां 5 दिन इलाज कराने के बाद मरीज की हालत में मामूली सुधार आया। जिसके बाद 11 अगस्त को मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। लेकिन घर जाते ही फिर मरीज की हालत बिगड़ने लगी। परिजन 13 अगस्त को दोबारा अस्पताल लेकर पहुंचे।
इसके बाद मरीज को सांस लेने में दिक्कत होने लगी, ऑक्सीजन सेचुरेशन लगातार घटने के कारण डॉक्टरों ने ऑक्सीजन लगा दी। इलाज के बाद भी ऑक्सीजन सेचुरेशन 80 फीसदी तक घट जाने पर परिजन उसे इलाज के लिए भोपाल के निजी अस्पताल ले गए। वहां जांच में 17 अगस्त को स्क्रब टाइफस पीड़ित होने की पुष्टि हुई। इस बीमारी की पुष्टि होते ही अस्पताल प्रबंधन ने हाथ खड़े कर दिए। इसके बाद परिजनों ने मरीज को भोपाल में ही अन्य निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यहां अब मरीज की हालत में सुधार है। शहर के तिली रोड स्थित निजी अस्पताल में अभी भी स्क्रब टाइफस संदिग्ध मरीज भर्ती हैं।
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जानकारों की माने तो स्क्रब टाइफस बीमारी ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी बैक्टीरिया के कारण होती है। लोगों में यह संक्रमित चिगर्स (लार्वा माइट्स) के काटने से फैलता है। यह एक वैक्टर जनित बीमारी है। थ्रोम्बोसाइटोपेनिक माइट्स नामक यह कीड़ा जिसे उड़ने वाला पिस्सू भी कहा जाता है यह जब काटता है तो शरीर में स्क्रब टाइफस के बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। यह समय के साथ सेंट्रल नर्वस सिस्टम, कार्डियो वस्कुलर सिस्टम, गुर्दे, सांस से जुड़ी और गैस्ट्रोइन्टेस्टाइनल सिस्टम को प्रभावित करता है। कई मामलों में मल्टी ऑर्गन फेल्योर से भी रोगी की मौत हो सकती है। इसके लक्षणों में बुखार और ठंड लगना शामिल है। इसके अलावा सिर, शरीर और मांसपेशियों में दर्द, लाल चकत्ते भी उभरते हैं। बीमारी बढ़ने पर काटने वाली जगह का रंग गहरा लाल या काला हो जाता है।