कमलनाथ सरकार जब सत्ता में आई थी तो लगातार आरोप लगाती रही थी कि सरकारी खजाना खाली है और बीजेपी ने उसे कर्ज में डूबा हुआ प्रदेश सौंपा है। वहीं अब सत्ता में आने के बाद बीजेपी सरकार एक बार फिर सोमवार को बाज़ार से 750 करोड़ का कर्ज़ उठाने जा रही है। केंद्र सरकार ने भी शिवराज सरकार को अतिरिक्त राहत देते हुए वित्तीय संसधान जुटाने के लिए अतिरिक्त कर्ज लेने की छूट दे दी है। इसके बाद अब प्रदेश सरकार बाजार से 4 हजार 443 करोड़ कर्ज ले सकती है।
फाइनेंस डिपार्टमेंट के मुताबिक राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम (Fiscal Responsibility and Budget Management Act) के अंतर्गत सरकार प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद का 3.5 प्रतिशत तक कर्ज ले सकती है। यह राशि 22-23 हजार करोड़ रुपये के आसपास होती है। केंद्रीय टैक्स में कमी के कारण राज्य सरकार को केंद्र से भी अपेक्षानुसार आर्थिक मदद नहीं मिल पाई है। इसी को देखते हुए केंद्र ने मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों को FRBM के तहत अतिरिक्त ऋण लेने की छूट दी है। बता दें कि केंद्र द्वारा आम बजट में प्रदेश सरकार के लिये लगभग इतनी ही राशि एडजस्ट की गई थी।
मध्यप्रदेश द्वारा लिये जा रहे इस ऋण राशि का उपयोग फाइनेंशियल एक्टिविटीज़ को बढ़ाने के अतिरिक्त विकास परियोजनाओं के लिये भी किया जाएगा। बता दें कि प्रदेश सरकार जनवरी 2019 से लेकर अब तक लगभग साढ़े 23 हजार करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है। इस तरह प्रदेश के ऊपर दो लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज हो चुका है। कोरोना के कारण बजट सत्र टल जाने के बाद अब संभावना है कि विधानसभा के मानसून सत्र में महालेखाकार के प्रतिवेदन पटल पर रखे जाएंगे, तब ऋण को लेकर असल स्थिति सामने आ पाएगी।