वंदेमातरम् रोक पर गर्माई सियासत, शिवराज बोले- मैं तो गाउंगा

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भोपाल।

कमलनाथ सरकार द्वारा वंदेमातरम गाने पर रोक लगाने पर सियासत गर्मा गई है। विपक्ष की भूमिका निभा रही भाजपा हमलावर हो चली है। कमलनाथ के इस फैसला पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हमला बोला है।  शिवराज ने कहा है कि मैं तो हर महीने की पहली तारीख को वल्लभ भवन के प्रांगण में जनता के साथ वंदे मातरम् गाऊंगा।

 दरअसल मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने हर महीने के पहले कामकाजी दिन में ‘वंदे मातरम्’ गाने की यह व्यवस्था शुरू की थी। लेकिन साल 2019 के पहले कामकाजी दिन पर राष्ट्रगीत नहीं गाया गया। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट में लिखा है कि कांग्रेस शायद यह भूल गई है कि सरकारें आती हैं, जाती हैं लेकिन देश और देशभक्ति से ऊपर कुछ नहीं है। मैं मांग करता हूँ कि वंदे मातरम् का गान हमेशा की तरह हर कैबिनेट की मीटिंग से पहले और हर महीने की पहली तारीख को हमेशा की तरह वल्लभ भवन के प्रांगण में हो।

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आगे ट्वीट में लिखा अगर कांग्रेस को राष्ट्र गीत के शब्द नहीं आते हैं या फिर राष्ट्र गीत के गायन में शर्म आती है, तो मुझे बता दें। हर महीने की पहली तारीख को वल्लभ भवन के प्रांगण में जनता के साथ वंदे मातरम् मैं गाऊंगा।

शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस को याद दिलाते हुए अपने ट्वीट में लिखा है कि मध्यप्रदेश में बीजेपी सरकार ने वंदे मातरम् का गान हर सप्ताह कैबिनेट मीटिंग से पहले सभी मंत्रियों द्वारा किया जाता था और हर महीने की पहली तारीख को वल्लभ भवन के प्रांगण में वंदे मातरम् गान में सभी कर्मचारी और अधिकारी गण उपस्थित रहते थे।

शिवराज ने काग्रेस सरकार में इस परंपरा के खत्म होने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए ट्वीट में लिखा है कि वंदे मातरम् के कारण लोगों के हृदय में प्रज्वलित देशभक्ति की भावनाओं में नयी ऊर्जा का संचार होता था। अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस की सरकार ने यह परंपरा आज तोड़ दी। पहली तारीख़ को वंदे मातरम् नहीं गाया गया।


कमलनाथ ने रोक पर बताई ये वजह

कमलनाथ ने वंदेमातरम् गाये जाने पर रोक लगाने को लेकर सफाई पेश की है। उनका कहना है कि हर माह की 1 तारीख़ को मंत्रालय में वन्देमातरम गायन की अनिवार्यता को फ़िलहाल अभी रोक कर नये रूप में लागू करने का निर्णय लिया गया है। यह निर्णय ना  किसी एजेंडे के तहत लिया गया है और ना ही हमारा वन्देमातरम गायन को लेकर कोई विरोध है। वन्देमातरम हमारे दिल की गहराइयों में बसा है।हम भी समय- समय पर इसका गायन करते है। हम इसे वापस प्रारंभ करेंगे लेकिन एक अलग रूप में।

लेकिन हमारा यह भी मानना है कि सिर्फ़ एक दिन वन्देमातरम गायन करने से किसी की देशभक्ति या राष्ट्रीयता परिलिक्षित नहीं होती है।नाथ ने कहा है कि देशभक्ति व राष्ट्रीयता को सिर्फ़ एक दिन वन्देमातरम गायन से जोड़ना ग़लत है, जो लोग वन्देमातरम गायन नहीं करते है तो क्या वे देशभक्त नहीं है ? हमारा यह भी मानना है कि राष्ट्रीयता या देशभक्ति का जुड़ाव दिल से होता है। इसे प्रदर्शित करने की आवश्यकता नहीं है।  हमारी भी धर्म , राष्ट्रीयता , देशभक्ति में आस्था है।कांग्रेस पार्टी जिसने देश की आज़ादी की लड़ाई लड़ी। उसे देशभक्ति, राष्ट्रीयता  के लिये किसी से भी प्रमाणपत्र लेने की आवश्यकता नहीं है। उनका मानना है कि इस तरह के निर्णय वास्तविक विकास के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिये व जनता को गुमराह ,भ्रमित करने के लिये थोपे जाते रहे है। भारत में रहने वाला हर नागरिक देशभक्त, राष्ट्र भक्त है।उससे किसी भी प्रकार के प्रमाणपत्र लेने की और ना उसे किसी को देने की आवश्यकता है। भाजपा इस पर राजनीति ना करे। हम इसे नये रूप में लागू करेंगे।

बता दे कि कांग्रेस सरकार ने कर्मचारियों के वंदेमातरम गाने पर रोक लगा दी है। राज्य की कमलनाथ सरकार ने फैसला लिया है कि राज्‍य सचिवालय के बाहर हर महीने की पहली कामकाजी तारीख को वंदे मातरम नहीं गाया जाएगा। कर्मचारियों को कहा गया है कि वे जनता के कल्‍याण के कामों पर ध्‍यान दें। इस फैसले को लेकर भाजपा ने कमलनाथ सरकार पर निशाना साधा है।इसी के चलते साल की पहली तारीख को मंत्रालय में वंदेमातरम नही गाया गया था।


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