नए साल से पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का बड़ा ऐलान

Pooja Khodani
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शिवराज सरकार

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। नए साल (New Year) से पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने आज मामाजी माणिकचन्द्र वाजपेयी (Manik Chandra Vajpayee) की जन्मशताब्दी वर्ष  पर बड़ा ऐलान किया है। मुख्यमंत्री ने कहा मामाजी के नाम पर स्थापित राष्ट्रीय पुरस्कार देंगे और स्व. राजेन्द्र माथुर जी के नाम पर भी पुरस्कार जारी रहेगा।

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दरअसल, आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मामाजी माणिकचन्द्र वाजपेयी की जन्मशताब्दी वर्ष के अवसर पर मिंटो हॉल, भोपाल (Bhopal) में आयोजित समारोह में स्व. माणिकचन्द्र वाजपेयी के सम्मान में जारी किए गए डाक टिकट का विमोचन किया। वही भारत के परमवीर चक्र विजेताओं पर राघवेन्द्र शर्मा द्वारा लिखित पुस्तक ‘भारत के परमवीर’ का लोकार्पण भी किया।

इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि सागर सी गहराई, आकाश सी ऊँचाई, जिनके व्यक्तित्व में थी, वे कुछ हैं यह उन्होंने एहसास नहीं होने दिया। मैं उनके चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं। मामाजी के नाम पर स्थापित राष्ट्रीय पुरस्कार देंगे और स्व. राजेन्द्र माथुर जी के नाम पर भी पुरस्कार जारी रहेगा।शत्रु और मित्र में समान हों, मान और अपमान में समान हों, सुख और दुख में समान हों, निंदा और स्तुति में समान हों, सचमुच में मामाजी का जीवन ऐसा ही जीवन था। वे प्रेरणापुंज थे, मार्गदर्शक थे।

वही एक किस्सा सुनाते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि स्व.माणिकचंद्र वाजपेयी के व्यक्तित्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पीएम आवास (PM House) पर मामाजी का सम्मान शॉल-श्रीफल से करते हुए पूर्व पीएम स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) ने कहा था कि मैं चरण छूने की अनुमति चाहता हूं और अटलजी ने मामाजी के चरण स्पर्श किए।

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि स्व. माणिकचंद्र वाजपेयी जी अहंकार शून्य थे, सदैव उनके चेहरे पर मुस्कान विराजमान रहती थी, उनमें प्रतिभा को पहचानने और गढ़ने की अद्वितीय प्रतिभा थी। उनके आशीर्वाद से अनेक युवा पत्रकारिता सीखकर इस क्षेत्र में आये। स्व. मानिकचंद्र वाजपेयी के जन्मशताब्दी वर्ष पर आज डाक टिकट का अनावरण कर स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूँ।मैं उनके चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित करता हूँ।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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