भोपाल। मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले सवर्णों को आरक्षण का मुद्दा फिर गरमा गया है। केंद्र सरकार के 10 फीसद सवर्ण आरक्षण पर प्रदेश की कांग्रेस सरकार अब तक कोई फैसला नहीं ले पाई है, हालांकि बीते दिनों विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री कमलनाथ ने समिति बनाकर निर्णय लेने की बात कही थी। वहीं, चुनाव से पहले भाजपा इसे प्रमुख मुद्दा बनाने की कोशिश में जुट गई है। यही कारण था कि भाजपा के विधायकों ने इस मुद्दे को विधानसभा के बजट सत्र में उठाया था।अब पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सीएम कमलनाथ से पूछा है कि आखिर एमपी में सवर्णों को आरक्षण क्यों नहीं दिया जा रहा है।
सवर्ण आरक्षण का मुद्दा छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव के पहले से गरमाया हुआ है। उस वक्त कांग्रेस ने पर्दे के पीछे रहकर सवर्ण आंदोलन को समर्थन दिया था।लेकिन अब चुंकी प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है तो विपक्ष की भूमिका निभा रही भाजपा कांग्रेस का घेराव करने में जुटी है।केंद्र सरकार ने तो 10 फीसद सवर्ण आरक्षण की व्यवस्था लागू कर दी है, लेकिन अब राज्य की कांग्रेस सरकार सवर्णों के आरक्षण पर कोई कदम नहीं उठा रही है। जब भाजपा ने विधानसभा सत्र में कांग्रेस सरकार पर इस मुद्दे पर सवाल पूछा, तो सरकार कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाई थी हालांकि समिति बनाकर निर्णय लेने की बात कही गई थी।अब पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि वह दूसरे प्रदेशों की तरह मध्य प्रदेश में भी तुरंत गरीब सवर्णों के लिए दस प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था लागू कर दी जाए। ऐसा नहीं होने पर बीजेपी इस मुददे को जनता के बीच दाकर जोर शोर से उठाएगी।वही उन्होंने चित्रकूट अपहरण हत्याकांड मामले में मुख्यमंत्री से मांग की है कि मासूम श्रेयांश और प्रेयांश के माता-पिता की पीड़ा को समझते हुए जल्द से जल्द मामले की सीबीआई जांच कर अपराधियों को सजा दी जाये। यह केवल अपराध नहीं है, बल्कि जघन्यतम अपराध है। ऐसे मामले में सजा भी त्वरित और कड़ी होनी चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष भी दे चुके है आंदोलन की चेतावनी
बीते दिनों जबलपुर में पत्रकारों से चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा था कि जब केंद्र सरकार ने सवर्णों को 10% आरक्षण को लेकर संविधान में संशोधन कर दिया है ।बावजूद इसके मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ कहते हैं कि एक कमेटी बनाई जाएगी और फिर तय किया जाएगा कि आगे क्या करना है। उत्तर प्रदेश-बिहार -गुजरात में सवर्णों के लिए आरक्षण लागू हो चुका है पर मध्य प्रदेश की सरकार हिला हवाली कर रही है। नेता प्रतिपक्ष ने चेतावनी दी थी कि जल्द ही सरकार अगर सवर्णों के आरक्षण पर विचार नहीं करती है तो एक विशाल आंदोलन किया जाएगा।
विधानसभा में भी गूंजा था आरक्षण का मुद्दा
बताते चले कि हाल ही में हुए विधानसभा के बजट सत्र में भी विपक्ष द्वारा यह मुद्दा उठाया गया था और जमकर हंगामा हुआ था। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा था कि सवर्णों को आरक्षण दिए जाने के मुद्दे पर स्थगन ध्यानाकर्षण हो प्रश्न लगाए गए हैं। मैं मुख्यमंत्री से आग्रह करता हूं कि वे इस आरक्षण को मध्य प्रदेश में लागू करें । केंद्र सरकार ने संविधान संशोधन के जरिए गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने की व्यवस्था की है। कई राज्य से इसे लागू कर चुके हैं, लेकिन मध्य प्रदेश में अभी तक इसे लागू नहीं किया गया है। जिस पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जवाब देते हुए कहा था कि वह इसके लिए समिति बनाएगी और उसके बाद ही कोई निर्णय लेगी। इस पर नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा था कि मुझे दुख है कि ये सरकर सामान्य वर्ग को उनका आरक्षण नहीं दे रही है।
गौरतलब है कि मोदी सरकार द्वारा सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने का लाभ गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में मिलना शुरू हो गया है। लेकिन मध्य प्रदेश में अब भी सवर्णों को इसका इंतजार है। प्रदेश में इसको लेकर अभी कोई शुरुआत नही की गई है, जिसके कारण लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है। हाल ही में भाजपा सांसद भगीरथ प्रसाद , करणी सेना और सपाक्स ने आरक्षण को लेकर कमलनाथ सरकार को चेतावनी भी दी थी, बावजूद इसको लेकर अभी तक कोई कदम नही उठाया गया है। वही भाजपा ने भी इसे मुद्दा बनाकर आज सदन में सत्तापक्ष कांग्रेस का जमकर घेराव किया।जिसके बाद अब पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खत लिखकर यह मांग की है।